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यूहन्ना का संदेश 
(मत्ती 3:1-12; मरकुस 1:1-8; यूहन्ना 1:19-28) 
 1 तिबिरियुस कैसर के शासन के पन्द्रहवें साल में जब 
यहूदिया का राज्यपाल पुन्तियुस पिलातुस था 
और उस प्रदेश के चौथाई भाग के राजाओं में हेरोदेस गलील का, 
उसका भाई फिलिप्पुस इतूरैया और त्रखोनीतिस का, 
तथा लिसानियास अबिलेने का अधीनस्थ शासक था। 
 2 और हन्ना तथा कैफा महायाजक थे, तभी जकरयाह के पुत्र यूहन्ना के पास जंगल में परमेश्वर का वचन पहुँचा।  3 सो यर्दन के आसपास के समूचे क्षेत्र में घूम घूम कर वह पापों की क्षमा के लिये मन फिराव के हेतु बपतिस्मा का प्रचार करने लगा।  4 भविष्यवक्ता यशायाह के वचनों की पुस्तक में जैसा लिखा है: 
“किसी का जंगल में पुकारता हुआ शब्द: 
‘प्रभु के लिये मार्ग तैयार करो 
और उसके लिये राहें सीधी करो। 
 5 हर घाटी भर दी जायेगी 
और हर पहाड़ और पहाड़ी सपाट हो जायेंगे 
टेढ़ी-मेढ़ी और ऊबड़-खाबड़ राहें 
समतल कर दी जायेंगी। 
 6 और सभी लोग परमेश्वर के उद्धार का दर्शन करेंगे!’ ” यशायाह 40:3-5 
 7 यूहन्ना उससे बपतिस्मा लेने आये अपार जन समूह से कहता, “अरे साँप के बच्चो! तुम्हें किसने चेता दिया है कि तुम आने वाले क्रोध से बच निकलो?  8 परिणामों द्वारा तुम्हें प्रमाण देना होगा कि वास्तव में तुम्हारा मन फिरा है। और आपस में यह कहना तक आरंभ मत करो कि ‘इब्राहीम हमारा पिता है।’ मैं तुमसे कहता हूँ कि परमेश्वर इब्राहीम के लिये इन पत्थरों से भी बच्चे पैदा करा सकता है।  9 पेड़ों की जड़ों पर कुल्हाड़ा रखा जा चुका है और हर उस पेड़ को जो उत्तम फल नहीं देता, काट गिराया जायेगा और फिर उसे आग में झोंक दिया जायेगा।” 
 10 तब भीड़ ने उससे पूछा, “तो हमें क्या करना चाहिये?” 
 11 उत्तर में उसने उनसे कहा, “जिस किसी के पास दो कुर्ते हों, वह उन्हें, जिसके पास न हों, उनके साथ बाँट ले। और जिसके पास भोजन हो, वह भी ऐसा ही करे।” 
 12 फिर उन्होंने उससे पूछा, “हे गुरु, हमें क्या करना चाहिये?” 
 13 इस पर उसने उनसे कहा, “जितना चाहिये उससे अधिक एकत्र मत करो।” 
 14 कुछ सैनिकों ने उससे पूछा, “और हमें क्या करना चाहिये?” 
सो उसने उन्हें बताया, “बलपूर्वक किसी से धन मत लो। किसी पर झूठा दोष मत लगाओ। अपने वेतन में संतोष करो।” 
 15 लोग जब बड़ी आशा के साथ बाट जोह रहे थे और यूहन्ना के बारे में अपने मन में यह सोच रहे थे कि कहीं यही तो मसीह नहीं है, 
 16 तभी यूहन्ना ने यह कहते हुए उन सब को उत्तर दिया: “मैं तो तुम्हें जल से बपतिस्मा देता हूँ किन्तु वह जो मुझ से अधिक सामर्थ्यवान है, आ रहा है, और मैं उसके जूतों की तनी खोलने योग्य भी नहीं हूँ। वह तुम्हें पवित्र आत्मा और अग्नि द्वारा बपतिस्मा देगा।  17 उसके हाथ में फटकने की डाँगी है, जिससे वह अनाज को भूसे से अलग कर अपने खलिहान में उठा कर रखता है। किन्तु वह भूसे को ऐसी आग में झोंक देगा जो कभी नहीं बुझने वाली।”  18 इस प्रकार ऐसे ही और बहुत से शब्दों से वह उन्हें समझाते हुए सुसमाचार सुनाया करता था। 
यूहन्ना के कार्य की समाप्ति 
 19 बाद में यूहन्ना ने उस चौथाई प्रदेश के अधीनस्थ राजा हेरोदेस को उसके भाई की पत्नी हिरोदिआस के साथ उसके बुरे सम्बन्धों और उसके दूसरे बुरे कर्मो के लिए डाँटा फटकारा।  20 इस पर हेरोदेस ने यूहन्ना को बंदी बनाकर, जो कुछ कुकर्म उसने किये थे, उनमें एक कुकर्म और जोड़ लिया। 
यूहन्ना द्वारा यीशु को बपतिस्मा 
(मत्ती 3:13-17; मरकुस 1:9-11) 
 21 ऐसा हुआ कि जब सब लोग बपतिस्मा ले रहे थे तो यीशु ने भी बपतिस्मा लिया। और जब यीशु प्रार्थना कर रहा था, तभी आकाश खुल गया।  22 और पवित्र आत्मा एक कबूतर का देह धारण कर उस पर नीचे उतरा और आकाशवाणी हुई कि, “तू मेरा प्रिय पुत्र है, मैं तुझ से बहुत प्रसन्न हूँ।” 
यूसुफ की वंश परम्परा 
(मत्ती 1:1-17) 
 23 यीशु ने जब अपना सेवा कार्य आरम्भ किया तो वह लगभग तीस वर्ष का था। ऐसा सोचा गया कि वह 
एली के बेटे यूसुफ का पुत्र था। 
 24 एली जो मत्तात का, 
मत्तात जो लेवी का, 
लेवी जो मलकी का, 
मलकी जो यन्ना का, 
यन्ना जो यूसुफ का, 
 25 यूसुफ जो मत्तित्याह का, 
मत्तित्याह जो आमोस का, 
आमोस जो नहूम का, 
नहूम जो असल्याह का, 
असल्याह जो नोगह का, 
 26 नोगह जो मात का, 
मात जो मत्तित्याह का, 
मत्तित्याह जो शिमी का, 
शिमी जो योसेख का, 
योसेख जो योदाह का, 
 27 योदाह जो योनान का, 
योनान जो रेसा का, 
रेसा जो जरुब्बाबिल का, 
जरुब्बाबिल जो शालतियेल का, 
शालतियेल जो नेरी का, 
 28 नेरी जो मलकी का, 
मलकी जो अद्दी का, 
अद्दी जो कोसाम का, 
कोसाम जो इलमोदाम का, 
इलमोदाम जो ऐर का, 
 29 ऐर जो यहोशुआ का, 
यहोशुआ जो इलाज़ार का, 
इलाज़ार जो योरीम का, 
योरीम जो मत्तात का, 
मत्तात जो लेवी का, 
 30 लेवी जो शमौन का, 
शमौन जो यहूदा का, 
यहूदा जो यूसुफ का, 
यूसुफ जो योनान का, 
योनान जो इलियाकीम का, 
 31 इलियाकीम जो मेलिया का, 
मेलिया जो मिन्ना का, 
मिन्ना जो मत्तात का, 
मत्तात जो नातान का, 
नातान जो दाऊद का, 
 32 दाऊद जो यिशै का, 
यिशै जो ओबेद का, 
ओबेद जो बोअज का, 
बोअज जो सलमोन का, 
सलमोन जो नहशोन का, 
 33 नहशोन जो अम्मीनादाब का, 
अम्मीनादाब जो आदमीन का, 
आदमीन जो अरनी का, 
अरनी जो हिस्रोन का, 
हिस्रोन जो फिरिस का, 
फिरिस जो यहूदाह का, 
 34 यहूदाह जो याकूब का, 
याकूब जो इसहाक का, 
इसहाक जो इब्राहीम का, 
इब्राहीम जो तिरह का, 
तिरह जो नाहोर का, 
 35 नाहोर जो सरूग का, 
सरूग जो रऊ का, 
रऊ जो फिलिग का, 
फिलिग जो एबिर का, 
एबिर जो शिलह का, 
 36 शिलह जो केनान का, 
केनान जो अरफक्षद का, 
अरफक्षद जो शेम का, 
शेम जो नूह का, 
नूह जो लिमिक का, 
 37 लिमिक जो मथूशिलह का, 
मथूशिलह जो हनोक का, 
हनोक जो यिरिद का, 
यिरिद जो महललेल का, 
महललेल जो केनान का, 
 38 केनान जो एनोश का, 
एनोश जो शेत का, 
शेत जो आदम का, 
और आदम जो परमेश्वर का पुत्र था।