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इस्राएली जाति के लिये प्रार्थना 
प्रधान बजानेवाले के लिये: शोशन्नीमेदूत राग में आसाप का भजन 
 1 हे इस्राएल के चरवाहे, 
तू जो यूसुफ की अगुआई भेड़ों की सी करता है, कान लगा! 
तू जो करूबों पर विराजमान है, अपना तेज दिखा! 
 2 एप्रैम, बिन्यामीन, और मनश्शे के सामने अपना पराक्रम दिखाकर, 
हमारा उद्धार करने को आ! 
 3 हे परमेश्वर, हमको ज्यों के त्यों कर दे; 
और अपने मुख का प्रकाश चमका, तब हमारा उद्धार हो जाएगा! 
 4 हे सेनाओं के परमेश्वर यहोवा, 
तू कब तक अपनी प्रजा की प्रार्थना पर क्रोधित रहेगा* 80:4 अपनी प्रजा की प्रार्थना पर क्रोधित रहेगा: तू उनकी प्रार्थनाओं का उत्तर नहीं देता है तो इसका अर्थ है कि तू क्रोधित है, चाहे वे प्रार्थना करें या तुझे पुकारें।? 
 5 तूने आँसुओं को उनका आहार बना दिया, 
और मटके भर भरकर उन्हें आँसू पिलाए हैं। 
 6 तू हमें हमारे पड़ोसियों के झगड़ने का कारण बना देता है; 
और हमारे शत्रु मनमाना ठट्ठा करते हैं। 
 7 हे सेनाओं के परमेश्वर, हमको ज्यों के त्यों कर दे; 
और अपने मुख का प्रकाश हम पर चमका, 
तब हमारा उद्धार हो जाएगा। 
 8 तू मिस्र से एक दाखलता ले आया; 
और अन्यजातियों को निकालकर उसे लगा दिया। 
 9 तूने उसके लिये स्थान तैयार किया है; 
और उसने जड़ पकड़ी और फैलकर देश को भर दिया। 
 10 उसकी छाया पहाड़ों पर फैल गई, 
और उसकी डालियाँ महा देवदारों के समान हुई; 
 11 उसकी शाखाएँ समुद्र तक बढ़ गई, 
और उसके अंकुर फरात तक फैल गए। 
 12 फिर तूने उसके बाड़ों को क्यों गिरा दिया, 
कि सब बटोही उसके फलों को तोड़ते है? 
 13 जंगली सूअर उसको नाश किए डालता है, 
और मैदान के सब पशु उसे चर जाते हैं। 
 14 हे सेनाओं के परमेश्वर, फिर आ† 80:14 फिर आ: संदर्भ से प्रगट होता है कि परमेश्वर उस देश से दूर हो गया है या उसे त्याग दिया है, उसने अपने लोगों को बिना रक्षक छोड़ दिया और खूंखार विदेशी शत्रुओं द्वारा संहार के लिए रख दिया है। ! 
स्वर्ग से ध्यान देकर देख, और इस दाखलता की सुधि ले, 
 15 ये पौधा तूने अपने दाहिने हाथ से लगाया, 
और जो लता की शाखा तूने अपने लिये दृढ़ की है। 
 16 वह जल गई, वह कट गई है; 
तेरी घुड़की से तेरे शत्रु नाश हो जाए। 
 17 तेरे दाहिने हाथ के सम्भाले हुए पुरुष पर तेरा हाथ रखा रहे, 
उस आदमी पर, जिसे तूने अपने लिये दृढ़ किया है। 
 18 तब हम लोग तुझ से न मुड़ेंगे: 
तू हमको जिला, और हम तुझ से प्रार्थना कर सकेंगे। 
 19 हे सेनाओं के परमेश्वर यहोवा, हमको ज्यों का त्यों कर दे! 
और अपने मुख का प्रकाश हम पर चमका, 
तब हमारा उद्धार हो जाएगा! 
*80:4 80:4 अपनी प्रजा की प्रार्थना पर क्रोधित रहेगा: तू उनकी प्रार्थनाओं का उत्तर नहीं देता है तो इसका अर्थ है कि तू क्रोधित है, चाहे वे प्रार्थना करें या तुझे पुकारें।
†80:14 80:14 फिर आ: संदर्भ से प्रगट होता है कि परमेश्वर उस देश से दूर हो गया है या उसे त्याग दिया है, उसने अपने लोगों को बिना रक्षक छोड़ दिया और खूंखार विदेशी शत्रुओं द्वारा संहार के लिए रख दिया है।