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राष्ट्रीय विपत्ति के समय स्तुतिगान 
एतान एज्रावंशी का मश्कील 
 1 मैं यहोवा की सारी करुणा के विषय सदा गाता रहूँगा; 
मैं तेरी सच्चाई पीढ़ी से पीढ़ी तक बताता रहूँगा। 
 2 क्योंकि मैंने कहा, “तेरी करुणा सदा बनी रहेगी, 
तू स्वर्ग में अपनी सच्चाई को स्थिर रखेगा।” 
 3 तूने कहा, “मैंने अपने चुने हुए से वाचा बाँधी है, 
मैंने अपने दास दाऊद से शपथ खाई है, 
 4 ‘मैं तेरे वंश को सदा स्थिर रखूँगा* 89:4 मैं तेरे वंश को सदा स्थिर रखूँगा: अर्थात् सिंहासन पर उसके उत्तराधिकारी सदैव बैठेंगे। प्रतिज्ञा यह है कि उसके सिंहासन पर बैठने से एक भी नहीं चूकेगा।; 
और तेरी राजगद्दी को पीढ़ी-पीढ़ी तक बनाए रखूँगा।’ ” 
(सेला) 
(यूह. 7:42, 2 शमू. 7:11-16)   5 हे यहोवा, स्वर्ग में तेरे अद्भुत काम की, 
और पवित्रों की सभा में तेरी सच्चाई की प्रशंसा होगी। 
 6 क्योंकि आकाशमण्डल में यहोवा के तुल्य कौन ठहरेगा? 
बलवन्तों के पुत्रों में से कौन है जिसके साथ यहोवा की उपमा दी जाएगी? 
 7 परमेश्वर पवित्र लोगों की गोष्ठी में अत्यन्त प्रतिष्ठा के योग्य, 
और अपने चारों ओर सब रहनेवालों से अधिक भययोग्य है। (2 थिस्स. 1:10, भज. 76:7,11)  
 8 हे सेनाओं के परमेश्वर यहोवा, 
हे यहोवा, तेरे तुल्य कौन सामर्थी है? 
तेरी सच्चाई तो तेरे चारों ओर है! 
 9 समुद्र के गर्व को तू ही तोड़ता है; 
जब उसके तरंग उठते हैं, तब तू उनको शान्त कर देता है। 
 10 तूने रहब को घात किए हुए के समान कुचल डाला, 
और अपने शत्रुओं को अपने बाहुबल से तितर-बितर किया है। (लूका 1:51, यशा. 51:9)  
 11 आकाश तेरा है, पृथ्वी भी तेरी है; 
जगत और जो कुछ उसमें है, उसे तू ही ने स्थिर किया है। (1 कुरि. 10:26, भज. 24:1,2)  
 12 उत्तर और दक्षिण को तू ही ने सिरजा; 
ताबोर और हेर्मोन तेरे नाम का जयजयकार करते हैं। 
 13 तेरी भुजा बलवन्त है; 
तेरा हाथ शक्तिमान और तेरा दाहिना हाथ प्रबल है। 
 14 तेरे सिंहासन का मूल, धर्म और न्याय है; 
करुणा और सच्चाई तेरे आगे-आगे चलती है। 
 15 क्या ही धन्य है वह समाज जो आनन्द के ललकार को पहचानता है; 
हे यहोवा, वे लोग तेरे मुख के प्रकाश में चलते हैं, 
 16 वे तेरे नाम के हेतु दिन भर मगन रहते हैं, 
और तेरे धर्म के कारण महान हो जाते हैं। 
 17 क्योंकि तू उनके बल की शोभा है, 
और अपनी प्रसन्नता से हमारे सींग को ऊँचा करेगा। 
 18 क्योंकि हमारी ढाल यहोवा की ओर से है, 
हमारा राजा इस्राएल के पवित्र की ओर से है। 
 19 एक समय तूने अपने भक्त को दर्शन देकर बातें की; 
और कहा, “मैंने सहायता करने का भार एक वीर पर रखा है, 
और प्रजा में से एक को चुनकर बढ़ाया है। 
 20 मैंने अपने दास दाऊद को लेकर, 
अपने पवित्र तेल से उसका अभिषेक किया है। (प्रेरि. 13:22)  
 21 मेरा हाथ उसके साथ बना रहेगा, 
और मेरी भुजा उसे दृढ़ रखेगी। 
 22 शत्रु उसको तंग करने न पाएगा, 
और न कुटिल जन उसको दुःख देने पाएगा। 
 23 मैं उसके शत्रुओं को उसके सामने से नाश करूँगा, 
और उसके बैरियों पर विपत्ति डालूँगा। 
 24 परन्तु मेरी सच्चाई और करुणा उस पर बनी रहेंगी, 
और मेरे नाम के द्वारा उसका सींग ऊँचा हो जाएगा। 
 25 मैं समुद्र को उसके हाथ के नीचे 
और महानदों को उसके दाहिने हाथ के नीचे कर दूँगा। 
 26 वह मुझे पुकारकर कहेगा, ‘तू मेरा पिता है, 
मेरा परमेश्वर और मेरे उद्धार की चट्टान है।’ (1 पत. 1:17, प्रका. 21:7)  
 27 फिर मैं उसको अपना पहलौठा, 
और पृथ्वी के राजाओं पर प्रधान ठहराऊँगा। (प्रका. 1:5, प्रका. 17:18)  
 28  मैं अपनी करुणा उस पर सदा बनाए रहूँगा† 89:28 मैं अपनी करुणा उस पर सदा बनाए रहूँगा: मैं उसे अपनी कृपा से कभी वंचित नहीं करूँगा न ही उसके वंशजों को, उसके और उनकी सन्तान और उसकी सन्तान की सन्तान के लिए सिंहासन सदा बना रहेगा। , 
और मेरी वाचा उसके लिये अटल रहेगी। 
 29 मैं उसके वंश को सदा बनाए रखूँगा, 
और उसकी राजगद्दी स्वर्ग के समान सर्वदा बनी रहेगी। 
 30 यदि उसके वंश के लोग मेरी व्यवस्था को छोड़ें 
और मेरे नियमों के अनुसार न चलें, 
 31 यदि वे मेरी विधियों का उल्लंघन करें, 
और मेरी आज्ञाओं को न मानें, 
 32 तो मैं उनके अपराध का दण्ड सोंटें से, 
और उनके अधर्म का दण्ड कोड़ों से दूँगा। 
 33 परन्तु मैं अपनी करुणा उस पर से न हटाऊँगा, 
और न सच्चाई त्याग कर झूठा ठहरूँगा। 
 34 मैं अपनी वाचा न तोड़ूँगा, 
और जो मेरे मुँह से निकल चुका है, उसे न बदलूँगा। 
 35 एक बार मैं अपनी पवित्रता की शपथ खा चुका हूँ; 
मैं दाऊद को कभी धोखा न दूँगा‡ 89:35 मैं दाऊद को कभी धोखा न दूँगा: अर्थात् वह अपनी प्रतिज्ञा में विश्वासयोग्य पाया जाएगा।। 
 36 उसका वंश सर्वदा रहेगा, 
और उसकी राजगद्दी सूर्य के समान मेरे सम्मुख ठहरी रहेगी। (लूका 1:32,33)  
 37 वह चन्द्रमा के समान, 
और आकाशमण्डल के विश्वासयोग्य साक्षी के समान सदा बना रहेगा।” 
(सेला) 
  38 तो भी तूने अपने अभिषिक्त को छोड़ा और उसे तज दिया, 
और उस पर अति क्रोध किया है। 
 39 तूने अपने दास के साथ की वाचा को त्याग दिया, 
और उसके मुकुट को भूमि पर गिराकर अशुद्ध किया है। 
 40 तूने उसके सब बाड़ों को तोड़ डाला है, 
और उसके गढ़ों को उजाड़ दिया है। 
 41 सब बटोही उसको लूट लेते हैं, 
और उसके पड़ोसियों से उसकी नामधराई होती है। 
 42 तूने उसके विरोधियों को प्रबल किया; 
और उसके सब शत्रुओं को आनन्दित किया है। 
 43 फिर तू उसकी तलवार की धार को मोड़ देता है, 
और युद्ध में उसके पाँव जमने नहीं देता। 
 44 तूने उसका तेज हर लिया है, 
और उसके सिंहासन को भूमि पर पटक दिया है। 
 45 तूने उसकी जवानी को घटाया, 
और उसको लज्जा से ढाँप दिया है। 
(सेला) 
  46 हे यहोवा, तू कब तक लगातार मुँह फेरे रहेगा, 
तेरी जलजलाहट कब तक आग के समान भड़की रहेगी। 
 47 मेरा स्मरण कर, कि मैं कैसा अनित्य हूँ, 
तूने सब मनुष्यों को क्यों व्यर्थ सिरजा है? 
 48 कौन पुरुष सदा अमर रहेगा? 
क्या कोई अपने प्राण को अधोलोक से बचा सकता है? 
(सेला) 
  49 हे प्रभु, तेरी प्राचीनकाल की करुणा कहाँ रही§ 89:49 तेरी प्राचीनकाल की करुणा कहाँ रही: तेरी दया, तेरी प्रतिज्ञाएँ, तेरी शपथ। तूने दाऊद से जो प्रतिज्ञाएँ की थीं वे कहाँ हैं? क्या वे पूरी हो गई? या वे भुलाई जा चुकी हैं और अमान्य हो गई हैं?, 
जिसके विषय में तूने अपनी सच्चाई की शपथ दाऊद से खाई थी? 
 50 हे प्रभु, अपने दासों की नामधराई की सुधि ले; 
मैं तो सब सामर्थी जातियों का बोझ लिए रहता हूँ। 
 51 तेरे उन शत्रुओं ने तो हे यहोवा, 
तेरे अभिषिक्त के पीछे पड़कर उसकी नामधराई की है। 
 52 यहोवा सर्वदा धन्य रहेगा! 
आमीन फिर आमीन। 
*89:4 89:4 मैं तेरे वंश को सदा स्थिर रखूँगा: अर्थात् सिंहासन पर उसके उत्तराधिकारी सदैव बैठेंगे। प्रतिज्ञा यह है कि उसके सिंहासन पर बैठने से एक भी नहीं चूकेगा।
†89:28 89:28 मैं अपनी करुणा उस पर सदा बनाए रहूँगा: मैं उसे अपनी कृपा से कभी वंचित नहीं करूँगा न ही उसके वंशजों को, उसके और उनकी सन्तान और उसकी सन्तान की सन्तान के लिए सिंहासन सदा बना रहेगा।
‡89:35 89:35 मैं दाऊद को कभी धोखा न दूँगा: अर्थात् वह अपनी प्रतिज्ञा में विश्वासयोग्य पाया जाएगा।
§89:49 89:49 तेरी प्राचीनकाल की करुणा कहाँ रही: तेरी दया, तेरी प्रतिज्ञाएँ, तेरी शपथ। तूने दाऊद से जो प्रतिज्ञाएँ की थीं वे कहाँ हैं? क्या वे पूरी हो गई? या वे भुलाई जा चुकी हैं और अमान्य हो गई हैं?