५
 १ “पुकारकर देख; क्या कोई है जो तुझे उत्तर देगा? 
और पवित्रों में से तू किस की ओर फिरेगा? 
 २ क्योंकि मूर्ख तो खेद करते-करते नाश हो जाता है, 
और निर्बुद्धि जलते-जलते मर मिटता है। 
 ३ मैंने मूर्ख को जड़ पकड़ते देखा है; 
परन्तु अचानक मैंने उसके वासस्थान को धिक्कारा। 
 ४ उसके बच्चे सुरक्षा से दूर हैं, 
और वे फाटक में पीसे जाते हैं, 
और कोई नहीं है जो उन्हें छुड़ाए। 
 ५ उसके खेत की उपज भूखे लोग खा लेते हैं, 
वरन् कटीली बाड़ में से भी निकाल लेते हैं; 
और प्यासा उनके धन के लिये फंदा लगाता है। 
 ६ क्योंकि विपत्ति धूल से उत्पन्न नहीं होती, 
और न कष्ट भूमि में से उगता है; 
 ७ परन्तु जैसे चिंगारियाँ ऊपर ही ऊपर को उड़ जाती हैं, 
वैसे ही मनुष्य कष्ट ही भोगने के लिये उत्पन्न हुआ है। 
 ८ “परन्तु मैं तो परमेश्वर ही को खोजता रहूँगा 
और अपना मुकद्दमा परमेश्वर पर छोड़ दूँगा, 
 ९ वह तो ऐसे बड़े काम करता है जिनकी थाह नहीं लगती, 
और इतने आश्चर्यकर्म करता है, जो गिने नहीं जाते। 
 १० वही पृथ्वी के ऊपर वर्षा करता, 
और खेतों पर जल बरसाता है। 
 ११ इसी रीति वह नम्र लोगों को ऊँचे स्थान पर बैठाता है, 
और शोक का पहरावा पहने हुए लोग ऊँचे 
पर पहुँचकर बचते हैं। (लूका 1:52-53, याकू. 4:10) 
 १२ वह तो धूर्त लोगों की कल्पनाएँ व्यर्थ कर देता है*, 
और उनके हाथों से कुछ भी बन नहीं पड़ता। 
 १३ वह बुद्धिमानों को उनकी धूर्तता ही में फँसाता है; 
और कुटिल लोगों की युक्ति दूर की जाती है। (1 कुरि. 3:19-20) 
 १४ उन पर दिन को अंधेरा छा जाता है, और 
दिन दुपहरी में वे रात के समान टटोलते फिरते हैं। 
 १५ परन्तु वह दरिद्रों को उनके वचनरुपी तलवार 
से और बलवानों के हाथ से बचाता है। 
 १६ इसलिए कंगालों को आशा होती है, और 
कुटिल मनुष्यों का मुँह बन्द हो जाता है। 
 १७ “देख, क्या ही धन्य वह मनुष्य, जिसको 
परमेश्वर ताड़ना देता है; 
इसलिए तू सर्वशक्तिमान की ताड़ना को तुच्छ मत जान। 
 १८ क्योंकि वही घायल करता, और वही पट्टी भी बाँधता है; 
वही मारता है, और वही अपने हाथों से चंगा भी करता है। 
 १९ वह तुझे छः विपत्तियों से छुड़ाएगा*; वरन् 
सात से भी तेरी कुछ हानि न होने पाएगी। 
 २० अकाल में वह तुझे मृत्यु से, और युद्ध में 
तलवार की धार से बचा लेगा। 
 २१ तू वचनरूपी कोड़े से बचा रहेगा और जब 
विनाश आए, तब भी तुझे भय न होगा। 
 २२ तू उजाड़ और अकाल के दिनों में हँसमुख रहेगा, 
और तुझे जंगली जन्तुओं से डर न लगेगा। 
 २३ वरन् मैदान के पत्थर भी तुझ से वाचा बाँधे रहेंगे, 
और वन पशु तुझ से मेल रखेंगे। 
 २४ और तुझे निश्चय होगा, कि तेरा डेरा कुशल से है, 
और जब तू अपने निवास में देखे तब 
कोई वस्तु खोई न होगी। 
 २५ तुझे यह भी निश्चित होगा, कि मेरे बहुत वंश होंगे, 
और मेरी सन्तान पृथ्वी की घास के तुल्य बहुत होंगी। 
 २६ जैसे पूलियों का ढेर समय पर खलिहान में रखा जाता है, 
वैसे ही तू पूरी अवस्था का होकर कब्र को पहुँचेगा। 
 २७ देख, हमने खोज खोजकर ऐसा ही पाया है; 
इसे तू सुन, और अपने लाभ के लिये ध्यान में रख।”