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अपने प्रेम की पुष्टि करना 
 १ मैंने अपने मन में यही ठान लिया था कि फिर तुम्हारे पास उदास होकर न आऊँ।  २ क्योंकि यदि मैं तुम्हें उदास करूँ, तो मुझे आनन्द देनेवाला कौन होगा, केवल वही जिसको मैंने उदास किया? 
 ३ और मैंने यही बात तुम्हें इसलिए लिखी, कि कहीं ऐसा न हो, कि मेरे आने पर जिनसे मुझे आनन्द मिलना चाहिए, मैं उनसे उदास होऊँ; क्योंकि मुझे तुम सब पर इस बात का भरोसा है, कि जो मेरा आनन्द है, वही तुम सब का भी है।  ४ बड़े क्लेश, और मन के कष्ट* से, मैंने बहुत से आँसू बहा बहाकर तुम्हें लिखा था इसलिए नहीं, कि तुम उदास हो, परन्तु इसलिए कि तुम उस बड़े प्रेम को जान लो, जो मुझे तुम से है। 
पापी को क्षमा 
 ५ और यदि किसी ने उदास किया है, तो मुझे ही नहीं वरन् (कि उसके साथ बहुत कड़ाई न करूँ) कुछ-कुछ तुम सब को भी उदास किया है। (गला. 4:12)  ६ ऐसे जन के लिये यह दण्ड जो भाइयों में से बहुतों ने दिया, बहुत है।  ७ इसलिए इससे यह भला है कि उसका अपराध क्षमा करो; और शान्ति दो, न हो कि ऐसा मनुष्य उदासी में डूब जाए। (इफि. 4:32) 
 ८ इस कारण मैं तुम से विनती करता हूँ, कि उसको अपने प्रेम का प्रमाण दो।  ९ क्योंकि मैंने इसलिए भी लिखा था, कि तुम्हें परख लूँ, कि तुम सब बातों के मानने के लिये तैयार हो, कि नहीं। 
 १० जिसका तुम कुछ क्षमा करते हो उसे मैं भी क्षमा करता हूँ, क्योंकि मैंने भी जो कुछ क्षमा किया है, यदि किया हो, तो तुम्हारे कारण मसीह की जगह में होकर क्षमा किया है।  ११ कि शैतान* का हम पर दाँव न चले, क्योंकि हम उसकी युक्तियों से अनजान नहीं। 
मकिदुनिया के लिये यात्रा 
 १२ और जब मैं मसीह का सुसमाचार, सुनाने को त्रोआस में आया, और प्रभु ने मेरे लिये एक द्वार खोल दिया।  १३ तो मेरे मन में चैन न मिला, इसलिए कि मैंने अपने भाई तीतुस को नहीं पाया; इसलिए उनसे विदा होकर मैं मकिदुनिया को चला गया। 
मसीही सेवक—जीवन की सुगन्ध 
 १४ परन्तु परमेश्वर का धन्यवाद हो, जो मसीह में सदा हमको जय के उत्सव में लिये फिरता है, और अपने ज्ञान की सुगन्ध हमारे द्वारा हर जगह फैलाता है।  १५ क्योंकि हम परमेश्वर के निकट उद्धार पानेवालों, और नाश होनेवालों, दोनों के लिये मसीह की सुगन्ध हैं। 
 १६ कितनों के लिये तो मरने के निमित्त मृत्यु की गन्ध, और कितनों के लिये जीवन के निमित्त जीवन की सुगन्ध, और इन बातों के योग्य कौन है?  १७ क्योंकि हम उन बहुतों के समान नहीं, जो परमेश्वर के वचन में मिलावट करते हैं; परन्तु मन की सच्चाई से, और परमेश्वर की ओर से परमेश्वर को उपस्थित जानकर मसीह में बोलते हैं*।