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दुष्ट का अन्त और धर्मी की शान्ति 
प्रधान बजानेवाले के लिये मश्कील पर दाऊद का भजन जब दोएग एदोमी ने शाऊल को बताया कि दाऊद अहीमेलेक के घर गया था 
 १ हे वीर, तू बुराई करने पर क्यों घमण्ड करता है? 
परमेश्वर की करुणा तो अनन्त है। 
 २ तेरी जीभ केवल दुष्टता गढ़ती है*; 
सान धरे हुए उस्तरे के समान वह छल 
का काम करती है। 
 ३ तू भलाई से बढ़कर बुराई में, 
और धर्म की बात से बढ़कर झूठ से प्रीति रखता है। (सेला) 
 ४ हे छली जीभ, 
तू सब विनाश करनेवाली बातों से प्रसन्न रहती है। 
 ५ निश्चय परमेश्वर तुझे सदा के लिये नाश कर देगा; 
वह तुझे पकड़कर तेरे डेरे से निकाल देगा; 
और जीवितों के लोक से तुझे उखाड़ डालेगा। (सेला) 
 ६ तब धर्मी लोग इस घटना को देखकर डर जाएँगे, 
और यह कहकर उस पर हँसेंगे, 
 ७ “देखो, यह वही पुरुष है जिसने परमेश्वर को 
अपनी शरण नहीं माना, 
परन्तु अपने धन की बहुतायत पर भरोसा रखता था, 
और अपने को दुष्टता में दृढ़ करता रहा!” 
 ८ परन्तु मैं तो परमेश्वर के भवन में हरे जैतून के 
वृक्ष के समान हूँ*। 
मैंने परमेश्वर की करुणा पर सदा सर्वदा के 
लिये भरोसा रखा है। 
 ९ मैं तेरा धन्यवाद सर्वदा करता रहूँगा, क्योंकि 
तू ही ने यह काम किया है। 
मैं तेरे नाम पर आशा रखता हूँ, क्योंकि 
यह तेरे पवित्र भक्तों के सामने उत्तम है।