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परमेश्वर की महिमा और प्रेम का गीत 
दाऊद का भजन 
 १ हे मेरे परमेश्वर, हे राजा, मैं तुझे सराहूँगा, 
और तेरे नाम को सदा सर्वदा धन्य कहता रहूँगा। 
 २ प्रतिदिन मैं तुझको धन्य कहा करूँगा, 
और तेरे नाम की स्तुति सदा सर्वदा करता रहूँगा। 
 ३ यहोवा महान और अति स्तुति के योग्य है, 
और उसकी बड़ाई अगम है। 
 ४ तेरे कामों की प्रशंसा और तेरे पराक्रम के कामों का वर्णन, 
पीढ़ी-पीढ़ी होता चला जाएगा। 
 ५ मैं तेरे ऐश्वर्य की महिमा के प्रताप पर 
और तेरे भाँति-भाँति के आश्चर्यकर्मों पर ध्यान करूँगा। 
 ६ लोग तेरे भयानक कामों की शक्ति की चर्चा करेंगे, 
और मैं तेरे बड़े-बड़े कामों का वर्णन करूँगा। 
 ७ लोग तेरी बड़ी भलाई का स्मरण करके उसकी चर्चा करेंगे, 
और तेरे धर्म का जयजयकार करेंगे। 
 ८ यहोवा अनुग्रहकारी और दयालु, 
विलम्ब से क्रोध करनेवाला और अति करुणामय है। 
 ९ यहोवा सभी के लिये भला है, 
और उसकी दया उसकी सारी सृष्टि पर है। 
 १० हे यहोवा, तेरी सारी सृष्टि तेरा धन्यवाद करेगी, 
और तेरे भक्त लोग तुझे धन्य कहा करेंगे! 
 ११ वे तेरे राज्य की महिमा की चर्चा करेंगे, 
और तेरे पराक्रम के विषय में बातें करेंगे; 
 १२ कि वे मनुष्यों पर तेरे पराक्रम के काम 
और तेरे राज्य के प्रताप की महिमा प्रगट करें। 
 १३ तेरा राज्य युग-युग का 
और तेरी प्रभुता सब पीढि़यों तक बनी रहेगी। 
 १४ यहोवा सब गिरते हुओं को संभालता है, 
और सब झुके हुओं को सीधा खड़ा करता है। 
 १५ सभी की आँखें तेरी ओर लगी रहती हैं, 
और तू उनको आहार समय पर देता है। 
 १६ तू अपनी मुट्ठी खोलकर, 
सब प्राणियों को आहार से तृप्त करता है। 
 १७ यहोवा अपनी सब गति में धर्मी 
और अपने सब कामों में करुणामय है*। (प्रका. 15:3, प्रका. 16:5) 
 १८ जितने यहोवा को पुकारते हैं, अर्थात् जितने उसको सच्चाई से पुकारते है; 
उन सभी के वह निकट रहता है*। 
 १९ वह अपने डरवैयों की इच्छा पूरी करता है, 
और उनकी दुहाई सुनकर उनका उद्धार करता है। 
 २० यहोवा अपने सब प्रेमियों की तो रक्षा करता, 
परन्तु सब दुष्टों को सत्यानाश करता है। 
 २१ मैं यहोवा की स्तुति करूँगा, 
और सारे प्राणी उसके पवित्र नाम को सदा सर्वदा धन्य कहते रहें।