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याहवेह का सेवक 
 1 “मेरे इस सेवक को देखो, जिससे मैं खुश हूं, 
वह मेरा चुना हुआ है मेरा प्रिय; 
उस पर मैंने अपना आत्मा रखा है, 
वही देशों का निष्पक्ष न्याय करेगा. 
 2 वह न तो चिल्लाएगा और न ऊंचे शब्द से बोलेगा, 
और न सड़क में उसका शब्द सुनाई देगा. 
 3 कुचले हुए नरकट को वह तोड़ न फेंकेगा, 
और न ही वह टिमटिमाती बत्ती को बुझा देगा. 
वह सच्चाई से न्याय करेगा; 
 4 जब तक वह न्याय को पृथ्वी पर स्थिर न करे 
वह न तो निराश होगा न थकेगा. 
द्वीप उसकी व्यवस्था की प्रतीक्षा करेंगे.” 
 5 परमेश्वर, जो याहवेह हैं— 
जिन्होंने आकाश बनाया तथा पृथ्वी को बढ़ाया और फैलाया, 
जो पृथ्वी पर पाए जाते हैं, 
जिन्होंने पृथ्वी के लोगों को श्वास 
और जीवन उस पर चलने वालों को दिया: 
 6 “मैं ही, वह याहवेह हूं, मैंने धर्म से तुम्हें बुलाया है; 
मैं तुम्हारा हाथ थाम कर तुम्हारी देखभाल करूंगा. 
मैं तुम्हें लोगों के लिए वाचा 
और देशों के लिए ज्योति ठहराऊंगा, 
 7 ताकि अंधे देख पाएं, 
बंदी कारागार से बाहर लाया जाए 
जो कारागार के अंधकार में रहता है. 
 8 “मैं ही वह याहवेह हूं; यही मेरा नाम है! 
किसी और को मैं अपनी महिमा न दूंगा, 
और मेरी स्तुति खुदी हुई मूर्ति को न दूंगा. 
 9 देखो, पुरानी बातें बीत चुकी हैं, 
अब मैं नई बात बताता हूं. 
अब वे बातें पहले ही बताऊंगा 
जो आगे चलकर घटने वालीं हैं.” 
याहवेह के लिए एक स्तुति गीत 
 10 हे समुद्र पर चलने वालो, 
हे समुद्र के रहनेवालो, 
हे द्वीपो और उनमें रहनेवालो, तुम सब याहवेह की स्तुति में एक नया गीत गाओ, 
पृथ्वी के छोर से उनकी स्तुति करो. 
 11 मरुस्थल एवं उसमें स्थित नगर नारे लगाओ; 
बस्तियां और गुफा में भी बसे हुए जय जयकार करो. 
सेला के निवासी नारे लगाओ; 
पर्वत शिखरों पर से खुशी के नारे लगाएं. 
 12 वे याहवेह की महिमा को प्रकट करें 
तथा द्वीपों में उसका गुणगान करें. 
 13 याहवेह वीर के समान निकलेगा, 
योद्धा के समान अपनी जलन दिखाएगा; 
वह ऊंचे शब्द से ललकारेगा 
और शत्रुओं पर विजयी होगा. 
 14 “बहुत समय से मैंने अपने आपको चुप रखा, 
अपने आपको रोकता रहा. 
अब जच्चा के समान चिल्लाऊंगा, 
अब मैं हांफ रहा हूं और मेरा श्वास फूल रहा है. 
 15 मैं पर्वतों तथा घाटियों को उजाड़ दूंगा 
सब हरियाली को सुखा दूंगा; 
नदियों को द्वीपों में बदल दूंगा 
तथा नालों को सुखा दूंगा. 
 16 अंधों को मैं ऐसे मार्ग से ले जाऊंगा जिसे वे जानते नहीं, 
उन अनजान रास्तों पर मैं उन्हें अपने साथ साथ ले चलूंगा; 
मैं उनके अंधियारे को दूर करूंगा 
उनके टेढ़े रास्ते को सीधा कर दूंगा. 
मैं यह सब कर दिखाऊंगा; 
इसमें कोई कमी न होगी. 
 17 वे बहुत लज्जित होंगे, 
जो मूर्तियों पर भरोसा रखते, 
और खुदी हुई मूर्तियों से कहते हैं, ‘तुम ही हमारे ईश्वर हो.’ 
अंधे और बहरे इस्राएल 
 18 “हे बहरो सुनो; 
हे अंधो, इधर देखो, तुम समझ सको! 
 19 कौन है अंधा, किंतु सिवाय मेरे सेवक के, 
अथवा कौन है बहरा, सिवाय मेरे उस भेजे हुए दूत के? 
अंधा कौन है जिसके साथ मैंने वाचा बांधी, 
अंधा कौन है सिवाय याहवेह का दास? 
 20 अनेक परिस्थितियां तुम्हारे आंखों के सामने हुईं अवश्य, किंतु तुमने उन पर ध्यान नहीं दिया; 
तुम्हारे कान खुले तो थे, किंतु तुमने सुना ही नहीं.” 
 21 याहवेह अपनी धार्मिकता के लिये 
अपनी व्यवस्था की प्रशंसा ज्यादा करवाना चाहा. 
 22 किंतु ये ऐसे लोग हैं जो लूट लिए गए हैं, 
तथा जिनकी वस्तुएं छीनी जा चुकी हैं और सभी गड्ढों में जा फंसे हैं, 
तथा सभी को जेल में बंद कर दिया गया है. 
वे ऐसे फंस चुके हैं, 
जिन्हें कोई निकाल नहीं सकता; 
और उनसे जो सामान लूटा गया है, 
उसे लौटाने को कोई नहीं कहता. 
 23 तुममें से ऐसा कौन है, जो यह सब सुनने के लिए तैयार है? 
और कौन सुलझाएगा? 
 24 किसने याकोब को लुटेरों के हाथों में सौंप दिया, 
तथा इस्राएल को लुटेरों के अधीन कर दिया? 
क्या याहवेह ने यह नहीं किया, 
जिनके विरुद्ध हमने पाप किया है? 
जिसके मार्ग पर उन्होंने चलना न चाहा; 
और उनकी व्यवस्था का उन्होंने पालन नहीं किया. 
 25 इस कारण याहवेह ने उन्हें अपने क्रोध की आग में, 
और युद्ध की भीड़ में डाल दिया. 
उसे चारों ओर से आग ने घेर लिया! फिर भी वह यह सब समझ न सका; 
इसने उसे भस्म कर दिया, तब भी उसने ध्यान नहीं दिया.