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बाबेल की मूर्ति और देवताएं 
 1 बाबेल की मूर्ति बेल और नेबो देवता झुक गए हैं; 
उनकी मूर्तियों को पशुओं पर रखकर ले जाया जा रहा है. 
जिन वस्तुओं को वे उठाए फिरते थे, 
वे अब बोझ बन गई है. 
 2 वे दोनों देवता ही झुक गए हैं; 
वे इन मूर्तियों के बोझ को उठा न सके, 
वे तो स्वयं ही बंधुवाई में चले गए हैं. 
 3 “हे याकोब के घराने, मेरी सुनो, 
इस्राएल के बचे हुए लोग, 
तुम भी सुनो! तुम तो जन्म ही से, 
मेरी देखरेख में रहे हो. 
 4 तुम्हारे बुढ़ापे तक भी मैं ऐसा ही रहूंगा, 
तुम्हारे बाल पकने तक मैं तुम्हें साथ लेकर चलूंगा. 
मैंने तुम्हें बनाया है और मैं तुम्हें साथ साथ लेकर चलूंगा; 
इस प्रकार ले जाते हुए मैं तुम्हें विमुक्ति तक पहुंचा दूंगा. 
 5 “तुम मेरी उपमा किससे दोगे तथा मुझे किसके समान बताओगे, 
कि हम दोनों एक समान हो जाएं? 
 6 वे जो अपनी थैली से सोना 
उण्डेलते या कांटे से चांदी तौलते हैं; 
जो सुनार को मजदूरी देकर देवता बनाते हैं, 
फिर उसको प्रणाम और दंडवत करते हैं. 
 7 वे इस मूर्ति को अपने कंधे पर लेकर जाते हैं; 
और उसे उसके स्थान पर रख देते हैं और वह वहीं खड़ी रहती है. 
वह मूर्ति अपनी जगह से हिलती तक नहीं. 
कोई भी उसके पास खड़ा होकर कितना भी रोए, उसमें उत्तर देने की ताकत नहीं; 
उसकी पीड़ा से उसे बचाने की ताकत उसमें नहीं है! 
 8 “यह स्मरण रखकर दृढ़ बने रहो, 
हे अपराधियो, इसे मन में याद करते रहो. 
 9 उन बातों को याद रखो, जो बहुत पहले हो चुकी हैं; 
क्योंकि परमेश्वर मैं हूं, मेरे समान और कोई नहीं. 
 10 मैं अंत की बातें पहले से ही बताता आया हूं, 
प्राचीन काल से जो अब तक पूरी नहीं हुई हैं. 
जब मैं किसी बात की कोई योजना बनाता हूं, 
तो वह घटती है; 
मैं वही करता हूं जो मैं करना चाहता हूं 
 11 मैं पूर्व दिशा से उकाब को; 
अर्थात् दूर देश से मेरी इच्छा पूरी करनेवाले पुरुष को बुलाता हूं. 
मैंने ही यह बात कही; 
और यह पूरी होकर रहेगी. 
 12 हे कठोर मनवालो, 
तुम जो धर्म से दूर हो, मेरी सुनो. 
 13 मैं अपनी धार्मिकता को पास ला रहा हूं, 
यह दूर नहीं है; 
मेरे द्वारा उद्धार करने में देर न हो. 
मैं इस्राएल के लिए अपनी महिमा, 
और ज़ियोन का उद्धार करूंगा.”