अंत-समयो के विषय में प्रश्न

अंत-समयो के विषय में प्रश्न

अंत के समयो की भविष्यवाणीयो के अनुसार क्या होने वाला है?

अन्त समयो के क्या चिन्ह है?

कलिसिया का मेघारोहण (बादलो पर उठाया जाना) क्या है?

विपत्तिकाल क्या है? हम कैसे जानते है कि विपत्तिकाल सात वर्षो का होगा?

विपत्तिकाल के सम्बन्ध मे मेघारोहण कब घटित होगा?

श्यीशु मसीह का पुनरागमन क्या है?

एक हजार वर्ष का राज्य क्या है, और क्या इसे शब्दिक रूप मे समझना चाहिए?



अंत-समयो के विषय में प्रश्न    
 

अंत के समयो की भविष्यवाणीयो के अनुसार क्या होने वाला है?


प्रश्न: अंत के समयो की भविष्यवाणीयो के अनुसार क्या होने वाला है?

उत्तर:
बाइबल मे अंत के समयो के विषय मे कहने के लिए बहुत कुछ है। बाइबल की लगभग हर एक पुस्तक में अंत समयो की भविष्यवाणी है। इन सब भविष्यवाणीयो को लेकर सुव्यवस्थित करना कठिन हो सकता है। बाइबल बताती है कि अन्त के समयो मे क्या होने वाला है उसका एक बहुत संक्षिप्त सार नीचे रेखाकित किया है ।

यीशु मसीह सभी नया-जन्म प्राप्त किए हुए विश्वासीयों को उठा लेगा उस घटना मे जिसको ‘ मेघारोहण ’ यानि बादलो मे उठाया जाना कहते है (थिस्सलुनीकियो 4:13-18, कुरिन्थियो 15:51-54)। यीशु मसीह के न्याय सिहासन पर ये विश्वासी जन अपने पृथ्वी पर समय के दौरान किये गए भले कार्यो और विश्वासयोग्यता से की गई सेवा के लिए पुरस्कृत किये जाएगे या फिर अपनी सेवा और आज्ञाकारिता की कमी के कारण इन पुरस्कारो को खो देगे, परन्तु अनन्त जीवन नही (1 कुरिन्थियो 3:11-15, 2 कुरिन्थियो 5:10)।

मसीह विरोधी (वह पशु) प्रभुत्व मे आ जाएगा और इसराएल के साथ सात वर्षो के लिए वाचा बॉधेगा (दानियल 9:27)। यह सात वर्षो का समयकाल “विपत्ति के समय” के नाम से जाना जाता है। विपत्ति के समय मे, भंयकार युद्व, अकाल, महामारीया और प्राकृतिक विपत्तियॉ आएगी। परमेश्वर अपना क्रोध पाप, बुराई और दुष्टता पर उंडेलेगा। विपत्ति के समय मे ऐपोकलीपस के चार घुडसवारो का प्रगट होना और न्याय की सात मुहरे, तुरहियॉ और कटोरो सम्मिलित है।

सात वर्षो के आधे समय मे, मसीह विरोधी इसराएल से श्शन्ति की वाचा को तोड डालेगा और उसके विरूद युद्व करेगा। मसीह विरोधी “उजाडने वाला घृणित” कार्य करेगा और यरूशलेम का मन्दिर जिसका पुन: निर्माण किया जाएगा उसमे उपासना किये जाने के लिए अपनी मूरत खड़ी करेगा (दानियल 9:27; 2 थिस्सलुनीकियो 2:3-10)। विपत्तिकाल का दूसरा हिस्सा “महाकलेश” के नाम से जाना जाता है (प्रकाशित्वाक्य 7:14) और “याकूब के कष्ट का समय” (यिर्मयाह 30:7)।

विपत्तिकाल के सात वर्षो के अंत मे मसीह विरोधी यरूशलेम पर अन्तिम आक्रमण करेगा, तब अरमागिदोन का युद्व होगा। यीशु मसीह वापस आएगे, मसीह विराधी को और उसकी सेनाओ का नाश करेगे, और उन्हे आग की झील मे डाल देगे। (प्रकाशितवाक्य 19:11-12)। फिर यीशु मसीह शैतान को 1000 वर्षो के लिए अतह कुण्ड मे डाल देगे और वह इस 1000 वर्षो मे पृथ्वी पर अपना पर राज्य करेगे (प्रकाशितवाक्य 20:1-6)।

1000 वर्षो के अन्त मे, शैतान को छोड दिया जाएगा, दुबारा हराया जाएगा और फिर अनन्त काल के लिए आग की झील मे डाल दिया जाएगा (प्रकाशितवाक्य 20:7-10)। यीशु मसीह बडे श्वेत सिहांसन पर बैठकर सब अविश्वासियों का न्याय करेगे, और उन्हे आग की झील मे डाल देगे। इसके उपरान्त यीशु मसीह, एक नये आकाश और नयी पृथ्वी और एक नये यरूशलेम को बनाएगे विश्वसीयो का अनन्त काल का निवास स्थान। फिर न पाप न दुख और न मृत्यु होगी (प्रकाशितवाक्य 21-22)।



अंत के समयो की भविष्यवाणीयो के अनुसार क्या होने वाला है?    
 

अन्त समयो के क्या चिन्ह है?


प्रश्न: अन्त समयो के क्या चिन्ह है?

उत्तर:
मत्ती 24: 5-8 हमे कुछ महत्वपूर्ण संकेत प्रदान करता है जिससे हम अन्त समयो के आने को समझ सके, “क्योकि बहुत से ऐसे होगे जो मेरे नाम से आकर कहेगे”। “मै मसीह हॅू” और बहुत को भरमाएगे। तुम लड़ाइयो और लड़ाइयो की चर्चा सुनोगे, तो धबरा न जाना क्योंकि इन का होना अवश्यक क्योकि जाति पर जाति और राज्य पर राज्य चढ़ाई करेगा, जगह-जगह अकाल पडेगे और भूकम्प होगे। ये सब बाते पीडाओ का आरम्भ होगी। झठे मसीह बढे़ंगे, युद्व बढेंगे और अकाल, महामारीयॉ, और प्रकृतिक विपत्तिया बढ़ेगी यह अन्त समयो के चिन्ह है। इस लेख मे, यद्यापि, हमको चेतावली दी गई है, परन्तु हमे भहकावे मे नही आना है, क्योकि यह घटनाए मात्र गर्भ की पीडाओ का आरम्भ है; अन्त का आना तो अभी भी बाकी है।

कुछ व्याख्यकर्ता हर एक भूकम्प हर एक बडे राजनेतिक उथल-पुथल, और इस्त्राएल पर होने वाले हर एक अक्रामण को अन्त समय जल्द आ रहे है का निश्चित चिन्ह बताते हुए इगित करते है। जब कि ये घटनाए अन्त के दिनो के आने का सम्भवता संकेत तो करती है, परन्तु यह आवश्यक नही कि ये संकेत करती है कि अन्त समय आ पहुचा है। प्रेरित पौलुस ने चेतावनी दी थी कि अन्त के दिनो मे झूठी शिक्षाओ मे स्पष्ट वृद्वि आएगी। परन्तु आत्मा स्पष्टता से कहता है कि आने वाले समयो मे कितने लोग भरमाने वाली आत्माओ, और दुष्टआत्माओ की शिक्षाओ पर मन लगा कर विश्वास से बहक जाएगे, (तीमुथियुस 4:1)। सक्रियता से “सच्चाई का विरोध” करने वाले आदमी और लोगो के बढते हुए बुरे चरित्र के कारण, अन्तिम दिनो का वर्णन कठिन समय कहकर किया गया है (2 तीमुथियुस 3:1-9, :2 थिस्सलुनीकियो 2:3, भी देखे)।

यरूशलेम मे यहूदी मन्दिर का दुबारा बनाया जाना, इस्त्राएल के प्रति बढा हुआ बैर, और संसार की एक सरकार बनाने की ओर बढना अन्य सम्भव चिन्हो मे समिलित है। अन्त समयो का सबसे मुख्य चिन्ह है, हांलाकि, इसराएल राष्ट्र ही। 70 ईसवी के बाद पहली बार सन् 1948 मे इस्त्राएल को प्रभुत्व सम्पत्र राष्ट्र की पहचान मिली थी। परमेश्वर ने इब्राहिम से प्रतीज्ञा की थी कि उसका वंश कनान का अनन्तकालिन अधिकारी होगा (उत्पत्ति 17:8), यहेजकेल ने इस्त्राएल के दैहिक और आत्मिक रूप से जीवित किये जाने के विषय मे भविष्यवाणी की है (यहेजकेल अध्याय 37)। अन्त समयो की भविष्यवाणी को समझने हेतु इस्त्राएल का अपनी भूमि पर राष्ट्र के रूप मे होना अति महत्वपूर्ण है। क्योकि इस्त्राएल का धार्मिक प्रलय शास्त्र मे महत्वपूर्ण स्थान है (दानियाल 10:14; 11:41, प्रकाशित वाक्या 11:81)।

इन चिन्हो को ध्यान मे रखते हुए हम अन्त समयो की प्रतीक्षा के विषय मे बुद्विमान और समझदार हो सकते है। यद्यपि, हमें इन मे से किसी एक घटना की व्याख्या अन्त समयो के जल्द आने के स्पष्ट संकेत के तौर पर नही करना चाहिए। परमेश्वर ने हमे पार्यप्त जानकारी प्रदान की है कि हम तैयार हो सके और इसी के लिए हमे बुलाया भी गया है।



अन्त समयो के क्या चिन्ह है?    
 

कलिसिया का मेघारोहण (बादलो पर उठाया जाना) क्या है?


प्रश्न: कलिसिया का मेघारोहण (बादलो पर उठाया जाना) क्या है?

उत्तर:
मेघारोहण शब्द बाइबल मे नही लिखा मिलता है। मेघारोहण का विचार, लेकिन , पवित्रशासत्र मे स्पष्टता से सिखया गया है। कलिसिया का मेघारोहण (बादलो पर उठाया जाना) वह घटना है जिसमे परमेश्वर सभी विश्वासीयो को धरती पर से निकाल लेगे जिससे कि विपत्ति के समय अपने पवित्र न्याय को धरती पर उडेले जाने का रास्ता बनाया जा सके। मेघारोहण मुख्यता थिस्सलुनीकियो 4:13-18 और कुरिन्थियो 15:50-54 मे वर्णीत है। परमेश्वर सभी विश्वासीयो, को जो मर चुके है पुनर्जीवित करेगे, उन्हें महिमामय देह देगे, और उन्हे धरती पर से उठा लेगे, उन सब विश्वासीयों के साथ जो जीवित होगे और इनको भी उस समय महिमामय देह दी जाएगी। “क्योंकि प्रभु, आप ही स्वर्ग से उतरेगा; उस समय ललकार, और प्रधान दूत का शब्द सुनाई देगा, और परमेश्वर की तुरही ‌‌‌फूंकी जाएगी; और जो मसीह मे मरे है, वे पहले जी उठेगे। हम जो जीवित और बचे रहेगे उनके साथ बादलो पर उठा लिये जाएंगे कि हवा मे प्रभु से मिले और इसी रीति से हम सदा प्रभु के साथ रहेगे” (थिस्सलुनीकियो 4:16-17)

कलिसिया का मेघारोहण (बादलो पर उठाया जाना) क्षण भर मे होने वाले प्रकार का होगा, और हम उस समय महिमामय देह प्राप्त करेगे। “देखो, मैं तुम से भेद की बात करता हू़ं हम सब नही सोएगे, परन्तु सब बदल जाएगे, और यह क्षण भर मे; पलक मारते ही अन्तिम तुरही ‌‌‌फूंकते ही होगा। क्योंकि, तुरही फूकी जाएगी और मुर्दे अविनाशी दशा मे उठाए जाएगे, और हम बदल जाएगे” (1 कुरिन्थियों 15:51-52)। कलिसिया का मेघारोहण (बादलो पर उठाया जाना) एक महीमामय घटना है जिसके घटित होने की हम सब को तीव्र इच्छा होगी। हम अतंत पाप से स्वतंत्र होगे। हम हमेशा परमेश्वर की उपस्थिति में होगे। कलिसिया के मेघारोहण (बादलो पर उठाया जाना) के अर्थ और आश्य को लेकर बहुत अधिक विवाद है। यह परमेश्वर की मंशा नही है। बल्कि, कलिसिया के मेघारोहण (बादलो पर उठाया जाना) के विषय मे, परमेश्वर हम से यह चाहते है कि “इन बातो से एक दूसरो को शन्ति दिया करो”। (थिस्सलुनीकियो 4:18)।



कलिसिया का मेघारोहण (बादलो पर उठाया जाना) क्या है?    
 

विपत्तिकाल क्या है? हम कैसे जानते है कि विपत्तिकाल सात वर्षो का होगा?


प्रश्न: विपत्तिकाल क्या है? हम कैसे जानते है कि विपत्तिकाल सात वर्षो का होगा?

उत्तर:
विपत्तिकाल भविष्य मे सात वर्षो का समय है जब परमेश्वर इस्त्राएल को पुरा अनुशासित करेगे और अविश्वासी संसार का अन्तिम न्याय करेंगे। कलिसिया, जो उन सब से बनी हुई है जिन्होने प्रभु यीशु के व्यक्तित्व और कार्य पर पाप के दण्ड से बचाए जाने के लिए विश्वास किया है, विपत्ति के समय में उपस्थित नही होगी। कलिसिया उस घटना मे जिसे विश्वासियों का उठा लिया जाना कहा जाता है, पृथ्वी पर से निकाल ली जाएगी। (थिस्सलुनीकियो 4:13-18, कुरिन्थियो 15:51-53)। कलिसिया को आने वाले क्रोध से बचा लिया जाता है (थिस्सलुनीकियो 5:9)। सारे पवित्रशास्त्र मे विपत्ति के समय के अन्य नामों से भी उल्लेख किया गया है जैसे कि प्रभु का दिन (यशायाह 2:12, 13:6-9; योएल 1:5, 2:1-31; 3:14; थिस्सलुनीकियो 5:2;) कष्ट या विपत्ति का समय (व्यावस्थविवरण 4:30;सपन्याह 1:1)। महाकलेश जो सात वर्षो के समयकाल के अधिक भयानक कलेश वाले दूसरे हिस्से को कहा जाता है (मत्ती 24:21)कष्ट का दिन या समय (दानियल 12:1; सपन्याह 1:15), याकूब के कष्ट का समय (यीर्मयाह 30:7)।

विपत्ति के समय के उदेश्य और समय को जानने के लिए दानियल 9:24-27 को समझना आवश्यक है। ये वचन 70 सप्ताह के विषय मे बताते है जिन्हे “तुम्हारे लोगो” के विरूद ठहरा दिया गया है। दानियल के लोग यहूदी है, इसराएल राष्ट्र, और दानियल 9:24 उस समयकाल की बात कर रहा है जिसमे परमेश्वर अपराधो को समाप्त कर देगा, पापो का अन्त, दुष्टता का प्रायश्चित किया जाएगा। और अनन्तकाल की धर्मीकता को प्रगट करेगा और दर्शन की बात पर और भविष्यवाणी पर मुहरबन्ध कर देगा तथा जाए, परम पवित्र का अभिषेक किया जाएगा। परमेश्वर घोषित करते है कि सत्तर सात इन सब बातो को पुरा करेगा। ये 70 सात वर्ष है, या 490 वर्ष। कुछ अनुवादक वर्षो के 70 सप्ताहों का उल्लेख करते है पुष्टि दानियल की पुस्तक के दूसरे भाग मे की जाती है। 25 और 26 वचनों में, दानियाल को बताया जाता है कि सात सात और बासठ सात (कुल 69) के बाद मसीहा को मारा जाएगा जो यरूशलेन को दुबारा बनाए जाने की आज्ञा निकलने से आरम्भ होगे। अन्य शब्दो मे यरूशलेम को दुबारा बनाए जाने की आज्ञा निकलने के 69 सात वर्ष 483 वर्ष बाद, मसीहा को मारा जाएगा। बाइबल के इतिहास कार पुष्टि करते है कि यरूशलेम को दुबारा बनाए जाने की आज्ञा निकलने से लेकर यीशु को क्रस पर चढाए जाने के समय तक 483 वर्ष हुए थे। अधिकतर मसीही विद्वान एसकोटलोजी (भविष्य की बाते/घटनाए) के विषय मे चाहे उनके विचार कुछ क्यो न हो , दानियल के विषय मे चाहे उनके विचार कुछ क्यो न हो, दानियल 70 सात की जैसे उपर बताया गया उसी प्रकार से समझते है।

जबकि यरूशलेम को दुबारा बनाए जाने की आज्ञा निकलने से लेकर मसीह को मारे जाने तक 483 वर्ष बीत चुके है, दानियल 9:24 के अनुसार ऐसे एक और सात वर्ष के समयकाल का पुरा होना शेष बचा है, जिसमे: अपराध होना बन्द हो, पापो को अनत और अधर्म का प्रायश्चित किया जाए और युग-युग की धर्मिकता प्रगट हो, दर्शन की बात पर और भविष्यवाणी पर छाप दी जाए और परम पवित्र की अभिषेक किया जाए। यह अन्तिम सात वर्ष का समयकाल विपत्ति के समय के नाम से जाना जाता है यह वह समय है जब परमेश्वर इसराएल का उसके पापो के लिए न्याय पूरा करेगा।

दानियल 9:27 सात वर्षो के विपत्तिकाल की कुछ प्रमुख बाते को प्रकाशित करता है: “वह एक सप्ताह के लिये बहुतो के संग दृढ वाचा बॉधेग। परन्तु आधे ही सप्ताह के बीतने पर वह मेल बलि और अत्रबलि घृणित वस्तुए दिखई देगी और निश्चय ठहराई गई हुई बात के समाप्त होने तक परमेश्वर क्रोध उजाडने वाले पर पडा रहेगा। यह वचन जिस व्यक्ति की बात करता है वह व्यक्ति है जिसको यीशु उजाडने वाली घृणित वस्तु कहते है 24:15 और प्रकाशित वाक्य 29-13 मे जिसे पशु कहा गया। दानियल 9:27 कहता है कि पशु सात वर्षो की वाचा बॉधेगा। परन्तु इस साप्तह के मध्य मे (3/2 वर्ष विपत्ति के समय के भीतर ) बन्द कर देगा और वाचा को तोडा डालेगा। प्रकाशित वाक्य 13 स्पष्ट करता है कि पशु अपनी एक मुरत मन्दिर मे खड़ा करेगा और संसार को उसकी उपासना करने के लिए विवश करेगा। प्रकाशितवाक्य 13:5 कहता है कि ऐसा 42 महिनो तक चलेगा, जो 3 ½ वर्ष है। जबकि दानियल 9:27 कहता है कि यह सप्ताह के मध्य मे होगा, प्रकाशितवाक्य 13:5 कहता है कि पशु ये 42 महिनो तक करेगा, यह देखना सरल है कि इस समय की कुल अवधि 84 महीने या सात वर्ष है। दानियल 7:25 भी देखे, जहॉ साढे तीन काल (3 ½ वर्ष) है जो “महाकलेश के समय”, के विषय में है, यह विपत्तिकाल का अन्तिम आधा भाग है जब पशु शासन मे होगा।

विपत्तिकाल के विषय मे अन्य उल्लेख के लिए प्रकाशितवाक्या 11:2-3 को देखे, जो 1260 दिनो और 42 महिनो, की बात करता है; दानियल 12:11-12, जो 1290 दिनो और 1335 दिनो की बात करता है। यह दिन विपत्ति के समय के मध्य बिन्दु को भी उल्लेखित करते है। दानियल 12 मे अतिरिक्त दिन सम्भवत: अन्त मे देश के न्याय के समय को (मत्री 25:31-46) और मसीहा के हजार वर्ष के राज्य के स्थापना के समय (प्राकशितवाक्य 20:4-6) को भी सम्मिलित करते है।



विपत्तिकाल क्या है? हम कैसे जानते है कि विपत्तिकाल सात वर्षो का होगा?    
 

विपत्तिकाल के सम्बन्ध मे मेघारोहण कब घटित होगा?


प्रश्न: विपत्तिकाल के सम्बन्ध मे मेघारोहण कब घटित होगा?

उत्तर:
आज कलिसिया मे विपत्तिकाल के सम्बन्ध मे मेघारोहण (कलिसिया का बादलो पर उठाया जाना) का समय सबसे विवादसपद मुदो मे से एक है। तीन मुख्य विचार है एक विपत्तिकाल से पहले वाला विचार (जिसके अनुसार पुनरागमन विपत्तिकाल से पहले घटित होता है), विपत्तिकाल के मध्य वाला विचार (जिसके अनुसार पुनरागमन विपत्तिकाल के मध्य घाटित होता है), विपत्तिकाल के बाद वाला विचार (जिसके अनुसार पुनरागमन विपत्तिकाल के बाद घटित होता है)। एक चौथा विचार भी है, जिसे आमतौर से क्रोध से पूर्व, के नाम जाना जाता है, यह मध्य विपत्तिकाल वाले विचार मे थोड़ा परिवर्तन करता है।

पहले, (विपत्तिकाल ) के उदेश्य को पहचानना महत्वपूर्ण है। दानियल 9:27 के अनुसार अभी भी सत्तरवे सात (सात वर्ष) का आना बाकि है। दानियल की सत्तर सात की सारी भविष्यवाणी (दानियल 9:20-27) इस्त्राएल राष्ट्र से सम्बन्धित है। यह वह समय काल है जब परमेश्वर अपना ध्यान विशेष कर इस्त्राएल पर ही लगाता है। सत्तरवॉ सात, विपत्तिकाल, ऐसा समय भी होगा जब परमेश्वर मुख्यता इस्त्राएल से ही निपटेगे। जबकि यह आवश्यक रूप से ऐसा सकेत नही देता कि कलिसिया भी उपस्थित नही हो सकती, परन्तु यह बात इस प्रश्न को अवश्य सामने लाती है कि कलिसिया का उस समय के दोरान इस धरती पर होना क्यों आवश्यक है।

मेघारोहण (कलिसिया का बादलो पर उठाया जाना) पर पवित्र शास्त्र का मुख्य लेख थिस्सलुनीकियो 4:13-18 है। यह कहता है कि सभी जीवित विश्वासी उन सब विश्वसियो के साथ है प्रभु यीशु से हवा मे मिलेगे और हमेशा उसके साथ होगे। मेघारोहण (कलिसिया का बादलो पर उठाया जाना) परमेश्वर का अपने लोगो को पृथ्वी पर से निकालना है। कुछ वचन बाद, थिस्सलुनीकियो 5:9 मे, पौलुस कहता है क्योंकि परमेश्वर ने हमे क्रोध के लिए नही, पुरन्त इसलिए ठहराया है अपने प्रभु यीश मसीह के द्वारा उद्वार प्राप्त करे। प्रकाशितवाक्य की पुस्तक जो मुख्यता विपत्ति के समयकाल के विषय मे है, एक भविष्यवाणी का सन्देश है कि कैसे परमेश्वर विपत्तिकाल मे अपने क्रोध को पृथ्वी पर उण्डेलेगे। परमेश्वर के विषय मे विश्वासीयो से यह प्रतीज्ञा करना कि वह क्रोध से बच जाऐगे और फिर उन्हे क्रोध को सहने के लिए धरती पर छोड देना विरोधभासी लगता है। यह तथ्य कि परमेश्वर मसीहीयो को क्रोध से बचा लेने की प्रतीज्ञा उन्हे पृथ्वी पर से निकाल लेने की प्रतीज्ञा के शीघ्र बाद करते है इन दोनो धटनाओ को साथ मे जोडता हुआ लगता है।

पुरागमन के विषय मे एक दुसरा महत्वपूर्ण लेख प्रकाशितवक्य 3:10 है, जिसमे मसीह विश्वसियो को “परिक्षा की उस घडी से जो इस पृथ्वी पर आनेवाली है बचाने की प्रतीज्ञा करते है। इसका अर्थ दो बातो हो सकती है। या तो मसीह विश्वसियो को परीक्षाओ के मध्य सुरक्षित रखेगे या मसीह विश्वसियो को परीक्षाओ से निकाल लेगे। दोनो अनुवादीत युनानी शब्द “से” के मान्य अर्थ है। यद्यपि, यह पहचानना महत्वपूर्ण है कि विश्वासीयो को किस से सुरक्षित रखने की प्रतीज्ञा की गई है। यह केवल परीक्षा ही नही, परन्तु परीक्षा की घडी है। मसीह विश्वासीयो को उस समय काल से ही बचा लेने की प्रतीज्ञा कर रहे है जिसमे परीक्षाए है, अर्थात् विपत्तिकाल । विपत्ति के समयकाल का उदेश्य, मेघारोहण (कलिसिया का बादलो पर उठाया जाना) का उदेश्य, थिस्सलुनीकियो 5:9 का अर्थ और प्रकाशितवाक्य 3:10 की व्याख्या सभी विपत्तिकाल से पहले के विचार का स्पष्ट समर्थन करते है। यदि बाइबल की शब्दिक रूप से और सुसगत व्याख्या की जाए, तो विपत्ति के समयकाल से पहले का विचार सबसे अधिक बाइबल पर आधारित व्याख्या है।



विपत्तिकाल के सम्बन्ध मे मेघारोहण कब घटित होगा?    
 

श्यीशु मसीह का पुनरागमन क्या है?


प्रश्न: श्यीशु मसीह का पुनरागमन क्या है?

उत्तर:
यीशु मसीह का पुनरागमन विश्वासीयों की वह आशा है जिसमें प्रत्येक वस्तु परमेश्वर के नियंत्रण में है, और वह अपनीे प्रतीज्ञओं और भाविष्यवाणियों के विषय में विश्वासयोग है। यीशु मसीह अपने पहले आगमन में, बैतलैहम की एक गोशला में एक छोटे बालक के रूप में इस पृथ्वी पर आए, जैसे कि भविष्यवाणी की गई थी। यीशु ने अपने जन्म, जीवन, सेवकाई, मृत्यु और पुनरूत्थान मे मसीह के विषय में की गई बहुत सी भविष्यवाणियों को पुरा किया। यद्यपि, अभी भी कुछ मसीह के विषय में भविष्यवाणीयॉ है जिन्हें यीशु ने अभी तक पुरा नही किया है। मसीह का पुनरागमन मसीह की शेष रही हुई भविष्यवाणीयों को पुरा करने के लिए वापस आना है। यीशु अपने पहले आगमन में एक कष्ट सहने वाले सेवक थे। यीशु अपने पुनरागमन में,एक विजयी राजा होगे। यीशु अपने पहले आगमन में, बहुत ही साधारण और नगण्य परिस्थितयों में आए। यीशु अपने पुनरागमन में स्वर्ग की सेनाओं के साथ आएगे।

पुराने नियम के भविष्यवक्ताओं ने दोनो आगमन के बीच के अंतर को स्पष्ट नही किया। यह यशायाह 7:14, 9:6-7 और जर्कयाह 14:4 में देखा जा सकता है। इसके फलस्वरूप ऐसा प्रतीत होता है कि ये भविष्यवाणीया किसी दों व्यक्तियों के बारे में बात कर रही है, इसलिए बहुत से यहूदी विद्वान यह मानते थे कि एक कष्ट सहने वाला मसीहा होगा और एक विजयी मसीहा होगा। वे इस बात को नही समझ पाए थे कि केवल एक ही मसीह होगा जो दोनों भुमिकाओं को पूरा करेगा। यीशु अपने पहले आगमन में एक कष्ट सहने वाला सेवक बना (यशायाह अध्याय 53) यीशु अपने पुनरागमन में, यीशु एक इस्त्राएल को छुटकारा दिलाने वाला और राजा बनेगा। जर्कयाह 12:10 और प्रकाशितवाक्य 1:7 पुनरागमन का वर्णन करते हुए पीछे की ओर देखते है कि यीशु को भेदा गया है। इस्त्राएल और सारा संसार, यीशु के प्रथम आगमन पर ग्रहण न करने के कारण विलाप करेगे।

यीशु जब स्वर्ग चला गए, स्वर्गदूतो ने प्रेरितो को धोषित किया कि, “हे गलीली के पुरूषो तुम क्यो खडे आकाश की ओर देख रहे हो? यही यीशु, जो तुम्हारे पास से स्वर्ग पर उठा लिया गया है, जिस रीति से तुम ने उसे स्वर्ग को पाते देखा है उसी रीति से वह फिर आएगा” (प्रेरितो के काम 1:11)। जर्कयाह 14:4 के अनुसार पुनरागमन का स्थान जैतून के पहाड़ को दर्शाता है। मत्ती 24:30 घोषित करता है कि तब मनुष्य के पुत्र का चिन्ह आकाश में दिखाई देगा, और तब पृथ्वी के सब कुलो के लोग छाती पीठेगे; और मनुष्य के पुत्र को बड़ी सामथ्र्य और ऐश्वर्य के साथ आकाश के बादलो पर आते देखेगे। तीतुस 2:13 दूसरे आगमन का वर्णन “महिमा के साथ प्रगट होना” कह कर करता है।

प्रकाशितवाक्य 19:11-16 मे पुनरागमन का वर्णन बडे़ विस्तार से किया है, “फिर मैने स्वर्ग को खुला हुआ देखा और देखता हू कि एक श्वेत घोडा है और उस पर एक सवार है, जो विश्वास योग्य और सत्य कहलाता; है और वह धर्म के साथ न्याय और यु़द्व करता है। उसकी ऑखे आग की ज्वाला है, और उसके सिर पर बहुत से राजमुकुट है। उस पर एक नाम लिखा है जिसे उसको छोड और कोई नही जानता। वह लहू छिडका हुआ वस्त्र पहिने है और उसका परमेश्वर का वचन है। स्वर्ग की सेना श्वेत घोडो पर सवार और श्वेत और शुद्व मलमल पहिने हुए उसके पीछे पीछे है जाति जाति को मारने के लिए उसके मुह से एक चोखी तलवार निकलती है। वह लोहे का राजदण्ड लिये हुए उन पर राज्य करेगा और सर्वशक्तिमान परमेश्वर के भयानक प्रकोप की जलजलाहत की मदिरा के कुंड मे दाख रौदेगा। उसके वस्त्र और जॉच पर यह नाम लिखा है : राजाओ का राजा और प्रभुओ का प्रभु”।



श्यीशु मसीह का पुनरागमन क्या है?    
 

एक हजार वर्ष का राज्य क्या है, और क्या इसे शब्दिक रूप मे समझना चाहिए?


प्रश्न: एक हजार वर्ष का राज्य क्या है, और क्या इसे शब्दिक रूप मे समझना चाहिए?

उत्तर:
यीशु मसीह के पृथ्वी पर 1000 वर्ष के राज्य को एक हजार वर्षीय (अथवा मिलेनियम) राज्य का नाम दिया गया है। कई 1000 वर्षो का रूपक शैली मे व्याख्यान करने का प्रयास करते है। कई 1000 वर्षो को मात्र एक लम्बे समय की अवधि को वर्णन करने का एक अलंकारिक तरीका समझते है न कि यीशु मसीह का पृथ्वी पर शब्दिक, दैहिक प्रकार से राज्य। यद्यपि, 6 बार (प्रकाशितवाक्य 20: 2-7) मे, एक हजार वर्षीय राज्य का समयकाल स्पष्टता से 1000 वर्ष कहा गया है। यदि परमेश्वर का इच्छा एक लम्बे समय की अवधि को व्यक्त करने की होती, तो वह सहजता से यह किसी निश्चित समयकाल का स्पष्टता से और बार-बार उल्लेख किये बिना कर सकते थे।

बाइबल हम बताती है कि जब मसीह पृथ्वी पर वापस आऐंगे तो वे यरूशलेम मे दाउद के सिहासन पर बैठकर अपने आपको राजा के रूप मे स्थापित करेगे (लूका 1:32-33)। शर्तहीन वाचाए मसीह के राज्य के स्थापना के लिए शब्दिक, दैहिक वापिस आने की मॉग करती है। इब्राहिम से वाचा इसराएल को भूमि, वंशज और शासक और आत्मिक आशिष प्रदान करने की प्रतीज्ञा थी (उत्पति 12:1-3)। पलिश्तिन की वाचा इस्त्रराएल को उनकी भूमि पर दुबारा से स्थापित करने और उसका अधिकारी बनाए जाने की प्रतीज्ञा थी (व्यवस्थाविवरण 30:1-10)। दाउद कीे वाचा इसराएल को क्षमा किये जाने की प्रतिज्ञा थी जिस के द्वारा सारा राष्ट्र आशिषित होगा (यीर्मयाह 31:31-34)।

दूसरे आगमन पर, यह वाचाए पुरी होगी जब इस्त्रराएल को अन्य राष्ट्रो मे से पुन: एकत्रित किया जाएगा (मत्ती 24:31), परिवर्तित (जर्कयाह 12:10-14), और यीशु मसीह, जो मसीहा है के राज्य में उनकी भूमि पर पूनस्थापित किया जाएगा। बाइबल बताती है कि एक हजार वर्ष के राज्य के समय मे पर्यवरणन एवं परिस्थिितया भौतिक तथा आत्मिक रूप से सम्पूर्ण त्रुटिरहित होगी। यह शान्ति का (मीका 4:2-4; यशायाह 32:7-18), आनन्द का (यशायाह 61:7-10), सुख-चैन का समय होगा (यशायाह 40: 1-2), उसमे न गरीबी और न बीमारी होगी (अमोस 9:13-15, योएल 2:28-29)। बाइबल हमे यह भी बताती है कि केवल विश्वासी ही एक हजार वर्ष के राज्य मे प्रवेश करेगे। इस कारण से, यह पूर्णत: धर्मीकता (मत्ती 25:37; भजन सहिता 24:3-4), आज्ञाकारिता (यीर्मयाह 31:33), पवित्रता (यशायाह 35:8), सच्चाई (यशयाह 65:16), पवित्र आत्मा से परिपूर्ण होने का समय होगा (योएल 2:28-29), मसीह राजा के रूप मे शासन करेगे (यशायाह 9:3-7, 11:1-10), और दाउद राज्य प्रतिनिधि होगा (यीर्मयाह 33:15-21; अमोस 9:11),। कुलीन और राज्यपाल भी राज्य करेगे (यशायाह 32:1 मत्ती 19:28),। और यरूशलेम संसार का राजनितिक केन्द्र होगा (जर्कयाह 8:3)।

प्रकाशितय 20:2-7 एक हजार वर्ष के राज्य का सही-सही समयकाल देता है। इन पवित्रशास्त्र के वचनो बिना भी, अनगिनत अन्य वचन है जो मसीह के पृथ्वी पर शब्दिक राज्य की और इगित (इशारा) करते है। बहुत सी परमेश्वर की वाचाओ और प्रतिज्ञाओ को पुरा होना शब्दिक, दैहिक, भविष्य के राज्य पर निर्भर करता है। एक हजार वर्ष के राज्य की शब्दिक व्याख्या और उसके 1000 वर्षो के समयकाल होने से इन्कार करने का कोई भी ठोस आधार नही है।



एक हजार वर्ष का राज्य क्या है, और क्या इसे शब्दिक रूप मे समझना चाहिए?