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रहूबियाम मूर्खतापूर्ण काम करता है
रहूबियाम शकेम नगर को गया क्योंकि इस्राएल के सभी लोग उसे राजा बनाने के लिये वहीं गए। यारोबाम मिस्र में था क्योंकि वह राजा सुलैमान के यहाँ से भाग गया था। यारोबाम नबात का पुत्र था। यारोबाम ने सुना कि रहूबियाम नया राजा होने जा रहा है। इसलिये यारोबाम मिस्र से लौट आया। इस्राएल के लोगों ने यारोबाम को अपने साथ रहने के लिये बुलाया।
तब यारोबाम तथा इस्राएल के सभी लोग रहूबियाम के यहाँ गए। उन्होंने उससे कहा, “रहूबियाम, तुम्हारे पिता ने हम लोगों के जीवन को कष्टकर बनाया। यह भारी वजन ले चलने के समान था। उस वजन को हल्का करो तो हम तुम्हारी सेवा करेंगे।”
रहूबियाम ने उनसे कहा, “तीन दिन बाद लौटकर मेरे पास आओ।” इसलिए लोग चले गए।
तब राजा रहूबियाम ने उन बुजुर्ग लोगों से बातें कीं जिन्होंने पहले उसके पिता की सेवा की थी। रहूबियाम ने उनसे कहा, “आप इन लोगों से क्या कहने के लिये सलाह देते हैं”
बुजुर्गों ने रहूबियाम से कहा, “यदि तुम उन लोगों के प्रति दयालु हो और उन्हें प्रसन्न करते हो तथा उनसे अच्छी बातें कहते हो तो वे तुम्हारी सेवा सदैव करेंगे।”
किन्तु रहूबियाम ने बुजुर्गों की दी सलाह को स्वीकार नहीं किया। रहूबियाम ने उन युवकों से बात की जो उसके साथ युवा हुए थे और उसकी सेवा कर रहे थे। रहूबियाम ने उनसे कहा, “तुम लोग क्या सलाह देते हो जिसे मैं उन लोगों से कहूँ उन्होंने मुझसे अपने काम को हल्का करने को कहा है और वे चाहते हैं कि मैं अपने पिता द्वारा उन पर डाले गए वजन को कुछ कम करूँ।”
10 तब उन युवकों ने जो रहूबियाम के साथ युवा हुए थे, उससे कहा, “जिन लोगों ने तुमसे बातें की उनसे तुम यह कहो। लोगों ने तुमसे कहा, ‘तुम्हारे पिता ने हमारे जीवन को कष्टकर बनाया था। यह भारी वजन ले चलने के समान था। किन्तु हम चाहते हैं कि तुम हम लोगों के वजन को कुछ हल्का करो।’ किन्तु रहूबियाम, तुम्हें यही उन लोगों से कहना चाहिये। उनसे कहो, ‘मेरी छोटी उँगली भी मरे पिता की कमर से मोटी होगी। 11 मेरे पिता ने तुम पर भारी बोझ लादा। किन्तु मैं उस बोझ को बढ़ाऊँगा। मेरे पिता ने तुमको कोड़े लगाने का दण्ड दिया था। मैं ऐसे कोड़े लगाने का दण्ड दूँगा जिसकी छोर पर तेज धातु के टुकड़े हैं।’ ”
12 राजा रहूबियाम ने कहा थाः “तीसरे दिन लौटकर आना।” अतः तीसरे दिन यारोबाम और सब इस्राएली जनता राजा रहूबियाम के पास आए। 13 तब राजा रहूबियाम ने उनसे नीचता से बात की। राजा रहूबियाम ने बुजुर्ग लोगों की सलाह न मानी। 14 राजा यहूबियाम ने लोगों से वैसे ही बात की जैसे युवकों ने सलाह दी थी। उसने कहा, “मेरे पिता ने तुम्हारे बोझ को भारी किया था, किन्तु मैं उसे और अधिक भारी करूँगा। मेरे पिता ने तुम पर कोड़े लगाने का दण्ड किया था, किन्तु मैं ऐसे कोड़े लगाने का दण्ड दूँगा जिनकी छोर में तेज धातु के टुकड़े होंगे।” 15 इस प्रकार राजा रहूबियाम ने लोगों की एक न सुनी। उसने लोगों की एक न सुनी क्योंकि यह परिवर्तन परमेश्वर के यहाँ से आया। परमेश्वर ने ऐसा होने दिया। यह इसलिए हुआ कि यहोवा अपने उस वचन को सत्य प्रमाणित कर सके जो उन्होंने अहिय्याह के द्वारा यारोबाम को कहा था। अहिय्याह शीलो लोगों में से था और यारोबाम नबात का पुत्र था।
16 इस्राएल के लोगों ने देखा कि राजा रहूबियाम उनकी एक नहीं सुनता। उन्होंने राजा से कहा, “क्या हम दाऊद के परिवार के अंग हैं नहीं! क्या हमें यिशै की कोई भूमि मिलनी है नहीं! इसलिये ऐ इस्राएलियों, हम लोग अपने शिविर में चलें। दाऊद की सन्तान को उसके अपने लोगों पर शासन करने दें!” तब इस्राएल के सभी लोग अपने शिविरों में लौट गए। 17 किन्तु इस्राएल के कुछ ऐसे लोग थे जो यहूदा नगर में रहते थे और रहूबियाम उनका राजा था।
18 हदोराम काम करने के लिये विवश किये जाने वाले लोगों का अधीक्षक था। रहूबियाम ने उसे इस्राएल के लोगों के पास भेजा। किन्तु इस्राएल के लोगों ने हदोराम पर पत्थर फेंके और उसे मार डाला। तब रहूबियाम भागा और अपने रथ में कूद पड़ा तथा बच निकला। वह भागकर यरूशलेम गया। 19 उस समय से लेकर अब तक इस्राएली दाऊद के परिवार के विरुद्ध हो गए हैं।