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मूसा इस्राएल के लोगों को आशीर्वाद देता है
मरने के पहले परमेश्वर के व्यक्ति मूसा ने इस्राएल के लोगों को यह आशीर्वाद दिया। मूसा ने कहा:
 
“यहोवा सीनै से आया,
यहोवा सेईर पर प्रातःकालीन प्रकाश सा था।
वह पारान पर्वत से ज्योतित प्रकाश—सम था।
यहोवा दस सहस्त्र पवित्र लोगों (स्वर्गदूतों) के साथ आया।
उसकी दांयी ओर बलिष्ठ सैनिक थे।
हाँ, यहोवा प्रेम करता है लोगों से
सभी पवित्र जन उसके हाथों में हैं और चलते हैं
वह उसके पदचिन्हों पर हर एक व्यक्ति स्वीकारता उपदेश उसका!
मूसा ने दिये नियम हमें वे—जो हैं
याकूब के सभी लोगों के।
यशूरुन ने राजा पाया
जब लोग और प्रमुख इकट्ठे थे।
यहोवा ही उसका राजा था!
रूबेन को आशीर्वाद
“रूबेन जीवित रहे, न मरे वह।
उसके परिवार समूह में जन अनेक हों!”
यहूदा को आशीर्वाद
मूसा ने यहूदा के परिवार समूह के लिए ये बातें कहीं
 
“यहोवा, सुने यहूदा के प्रमुख कि जब वह मांगे सहायता लाए उसे
अपने जनों में शक्तिशाली बनाए उसे,
करे सहायता उसकी शत्रु को हराने मं!”
लेवी को आशीर्वाद
मूसा ने लेवी के बारे में कहाः
 
“तेरा अनुयायी सच्चा लेवी धारण करता ऊरीम—तुम्मीम,
मस्सा पर तूने लेवी की परीक्षा की,
तेरा विशेष व्यक्ति रखता उन्हें।
लड़ा तू था उसके लिये मरीबा के जलाशयों पर।
लेवी ने बताया निज, माता—पिता के विषय में:
मैं न करता उनकी परवाह,
स्वीकार न किया उसने अपने भाई को,
या जाना ही अपने बच्चों को;
लेवीवंशियों ने पाला आदेश तेरा,
और निभायी वाचा तुझसे जो।
10 वे सिखायेंगे याकूब को नियम तेरे।
और इस्राएल को व्यवस्था जो तेरे।
वे रखेंगे सुगन्धि सम्मुख तेरे सारी होमबलि वेदी के ऊपर,
 
11 “यहोवा, लेवीवंशियों का जो कुछ हो,
आशीर्वाद दे उसे,
जो कुछ करे वह स्वीकार करे उसको।
नष्ट केर उसको जो आक्रमण करे उन पर।”
बिन्यामीन को आशीर्वाद
12 बिन्यामीन के विषय में मूसा ने कहाः
 
“यहोवा का प्यारा उसके साथ
सुरक्षित होगा।
यहोवा अपने प्रिय की रक्षा करता सारे दिन,
और बिन्यामीन की भूमि पर यहोवा रहता।”
यूसुफ को आशीर्वाद
13 मूसा ने यूसुफ के बारे में कका:
 
“यहोवा दे आशीर्वाद उसके देश को स्वर्ग की
उत्तम वस्तुऐं जहाँ हों;
वह सम्पत्ति वहाँ हो जो धरती कर रही प्रतीक्षा।
14 सूरज का दिया उत्तम फल उसका हो
महीनों की उत्तम फ़सने उसकी हों।
15 प्राचीन पर्वतों की उत्तम उपज उसकी हो —
शाश्वत पहाड़ियों की उत्तम चीज़ें भी।
16 आशीर्वाद सहित धरती की उत्तम भेंट उसकी हों।
जलती झाड़ी का यहोवा उसका पक्षधर हो
यूसुफ के सिर पर वरदानों की वर्षा हो
यूसुफ के सिर के ऊपर भी जो सर्वाधिक महत्वपूर्ण उसके भ्राताओं में।
17 यूसुफ के झुण्ड का प्रथम साँड गौरव पाएगा।
इसकी सींगे सांड सी लम्बी होंगी।
यूसुफ का झुण्ड भगाएगा लोगों को।
पृथ्वी की अन्तिम छोर जहाँ तक जाती है।
हाँ, वे हैं दस सहस्त्र एप्रैम से
हाँ, वे हैं एक सहस्त्र मनश्शे से।”
जबूलून को आशीर्वाद
18 जबूलून के बारे में मूसा ने कहाः
 
“जबूलून, खुश होओ, जाओ जब बाहर,
और इस्साकार रहे तुम्हारे डेरों में।
19 वे लोगों का आहवान करेंगे अपने गिरि पर,
वहाँ करेंगे भेंट सभी सच्ची बलि क्यों?
क्योंकि वे लोग सागर से निकालते हैं धन
और पाएंगे बालू में छिपा हुआ जो धन है।”
गाद को आशीर्वाद
20 मूसा ने गाद के बारे में कहा:
 
“स्तुति करो परमेश्वर की जो बढ़ाता है गाद को!
गाद लेटा करता सिंह सदृश,
वह उखाड़ता भुजा, भंग करता खोपड़ियाँ।
21 अपने लिए चुनता है
वह सबसे प्रमुख हिस्सा और आता
वह लोगों के प्रमुखों के संग करता
वह इस्राएल के संग जो यहोवा की इच्छा होती है
और यहोवा के लिए न्याय करता है।”
दान को आशीर्वाद
22 दान के बारे में मूसा ने कहा:
 
“दान सिंह का बच्चा है जो बाशान मे उछला करता।”
नप्ताली को आशीर्वाद
23 नप्ताली के बारे में मूसा ने कहाः
 
“नप्ताली, तुम लोगे बहुत सी अच्छी चीज़ों को,
यहोवा का आशीर्वाद तुम्हें पूरा है,
ले लो पश्चिम और दक्षिण प्रदेश।”
आशेर को आशीर्वाद
24 मूसा ने आशेर के बारे में कहाः
 
“आशेर को पुत्रों में सर्वाधिक है आशीर्वाद,
उसे निज भ्राताओं में प्रिय होन दो
और उसे अपने चरण तेल से धोने दो।
25 तुम्हारी अर्गलाएँ लोहे—काँसे होंगे शक्ति
तुम्हारी आजीवन रहेगी बनी।”
मूसा परमेश्वर की स्तुति करता है
26 “यशूरुन, परमेश्वर सम नहीं
दूसरा कोई परमेश्वर अपने गौरव मे चलता है चढ़ बादल पर,
आसमान से होकर आता करने मदद तुम्हें।
27 शाश्वत परमेश्वर तुम्हारी रशरण सुरक्षित है।
और तुम्हारे नीचे शाश्वत भुजाऐं हैं
परमेश्वर जो बल से दूर हटाता शत्रु तुम्हारे,
कहता है वह ‘नष्ट करो शत्रु को!’
28 ऐसे इस्राएल रक्षित रहता है जो केवल
याकूब का जलस्रोत धरती में सुरिक्षत है।
अन्न और दाखमधु की सुभूमि में हाँ
उसका स्वर्ग वहाँ हिम—बिन्दु भेजता।
29 इस्राएलियों, तुम आशीषित हो यहोवा रक्षित राष्ट्र तुम,
न कोई तुम सम अन्य राष्ट्र।
यहोवा है तलवार विजय* विजय शाब्दिक, “महामहिमता।”
तुम्हारी करने वाली।
तेरे शत्रु सभी तुझसे डरेगें,
और तुम रौंद दोगे उनके झूठे देवों की जगहों को।”
 

*33:29: विजय शाब्दिक, “महामहिमता।”