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नया आरम्भ
परमेश्वर ने नूह और उसके पुत्रों को आशीष दी और उनसे कहा, “बहुत से बच्चे पैदा करो और अपने लोगों से पृथ्वी को भर दो। पृथ्वी के सभी जानवर तुम्हारे डर से काँपेंगे और आकाश के हर एक पक्षी भी तुम्हारा आदर करेंगे और तुमसे डरेंगे। पृथ्वी पर रेंगने वाला हर एक जीव और समुद्र की हर एक मछली तुम लोगों का आदर करेगी और तुम लोगों से डरेगी। तुम इन सभी के ऊपर शासन करोगे। बीते समय में तुमको मैंने हर पेड़—पौधे खाने को दिए थे। अब हर एक जानवर भी तुम्हारा भोजन होगा। मैं पृथ्वी की सभी चीजें तुमको देता हूँ—अब ये तुम्हारी हैं। मैं तुम्हें एक आज्ञा देता हूँ कि तुम किसी जानवर को तब तक न खाना जब तक कि उसमें जीवन (खून) है। मैं तुम्हारे जीवन बदले में तुम्हारा खून मागूँगा। अर्थात् मैं उस जानवर का जीवन मागूँगा जो किसी व्यक्ति को मारेगा और मैं हर एक ऐसे व्यक्ति का जीवन मागूँगा जो दूसरे व्यक्ति की ज़िन्दगी नष्ट करेगा।”
 
“परमेश्वर ने मनुष्य को अपने स्वरूप में बनाया है।
इसलिए जो कोई किसी व्यक्ति का खून बहाएगा, उसका खून वयक्ति द्वारा ही बहाया जाएगा।”
 
“नूह तुम्हें और तुम्हारे पुत्रों के अनेक बच्चे हों और धरती को लोगों से भर दो।”
तब परमेश्वर ने नूह और उसके पुत्रों से कहा, “अब मैं तुम्हें और तुम्हारे वंशजों को वचन देता हूँ। 10 मैं यह वचन तुम्हारे साथ जहाज़ से बाहर आने वाले सभी पक्षियों, सभी पशुओं तथा सभी जानवरों को देता हूँ। मैं यह वचन पृथ्वी के सभी जीवित प्राणियों को देता हूँ।” 11 मैं तुमको वचन देता हूँ, “जल की बाढ़ से पृथ्वी का सारा जीवन नष्ट हो गया था। किन्तु अब यह कभी नहीं होगा। अब बाढ़ फिर कभी पृथ्वी के जीवन को नष्ट नहीं करेगी।”
12 और परमेश्वर ने कहा, “यह प्रमाणित करने के लिए कि मैंने तुमको वचन दिया है कि मैं तुमको कुछ दूँगा। यह प्रमाण बतायेगा कि मैंने तुम से और पृथ्वी के सभी जीवित प्राणियों से एक वाचा बाँधी है। यह वाचा भविष्य में सदा बनी रहेगी जिसका प्रमाण यह है 13 कि मैंने बादलों में मेघधनुष बनाया है। यह मेघधनुष मेरे और पृथ्वी के बीच हुए वाचा का प्रमाण है। 14 जब मैं पृथ्वी के ऊपर बादलों को लाऊँगा तो तुम बादलों में मेघधनुष को देखोगे। 15 जब मैं इस मेघधनुष को देखूँगा तब मैं तुम्हारे, पृथ्वी के सभी जीवित प्राणियों और अपने बीच हुई वाचा को याद करूँगा। यह वाचा इस बात की है कि बाढ़ फिर कभी पृथ्वी के प्राणियों को नष्ट नहीं करेगी। 16 जब मैं ध्यान से बादलों में मेघधनुष को देखूँगा तब मैं उस स्थायी वाचा को याद करूँगा। मैं अपने और पृथ्वी के सभी जीवित प्राणियों के बीच हुई वाचा को याद करूँगा।”
17 इस तरह यहोवा ने नूह से कहा, “वह मेघधनुष मेरे और पृथ्वी के सभी जीवित प्राणियों के बीच हुई वाचा का प्रमाण है।”
समस्यायें फिर शुरु होती है
18 नूह के पुत्र उसके साथ जहाज से बाहर आए। उनके नाम शेम, हाम और येपेत था। (हाम तो कनान का पिता था।) 19 तीनों नूह के पुत्र थे और संसार के सभी लोग इन तीनों से ही पैदा हुए।
20 नूह किसान बना। उसने अंगूरों का बाग लगाया। 21 नूह ने दाखमधु बनाया और उसे पिया। वह मतवाला हो गया और अपने तम्बू में लेट गया। नूह कोई कपड़ा नहीं पहना था। 22 कनान के पिता हाम ने अपने पिता को नंगा देखा। तम्बू के बाहर अपने भाईयों से हाम ने यह बताया। 23 तब शेम और येपेत ने एक कपड़ा लिया। वे कपड़े को पीठ पर डाल कर तम्बू में ले गए। वे उल्टे मुँह तम्बू में गए। इस तरह उन्होंने अपने पिता को नंगा नहीं देखा।
24 बाद में नूह सोकर उठा। (वह दाखमधु के कारण सो रहा था।) तब उसे पता चला कि उसके सब से छोटे पुत्र हाम ने उसके बारे में क्या किया है। 25 इसलिए नूह ने शाप दिया,
 
“यह शाप कनान के लिए हो
कि वह अपने भाईयों को दास हो।”
 
26 नूह ने यह भी कहा,
 
“शेम का परमेश्वर यहोवा धन्य हो!
कनान शेम का दास हो।
27 परमेश्वर येपेत को अधिक भूमि दे।
परमेश्वर शेम के तम्बूओं में रहे
और कनान उनका दास बनें।”
 
28 बाढ़ के बाद नूह साढ़े तीन सौ वर्ष जीवित रहा। 29 नूह पूरे साढ़े नौ सौ वर्ष जीवित रहा, तब वह मरा।