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उस समय, सात सात स्त्रियाँ एक पुरुष को दबोच लेंगी और उससे कहेंगी, “अपने खाने के लिये हम, अपनी रोटियों का जुगाड़ स्वयं कर लेंगी, अपने पहनने के लिए कपड़े हम स्वयं बनायेंगी। बस तू हमसे विवाह कर ले! ये सब काम हमारे लिए हम खुद ही कर लेंगी। बस तू हमें अपना नाम दे। कृपा कर के हमारी शर्म पर पर्दा डाल दे।”
उस समय, यहोवा का पौधा (यहूदा) बहुत सुन्दर और बहुत विशाल होगा। वे लोग, जो उस समय इस्राएल में रह रहे होंगे उन वस्तुओं पर बहुत गर्व करेंगे जिन्हें उनकी धरती उपजाती है। उस समय वे लोग जो अभी भी सिय्योन और यरूशलेम में रह रहे होंगे, पवित्र लोग कहलाएँगे। यह उन सभी लोगों के साथ घटेगा जिनका एक विशेष सूची में नाम अंकित है। यह सूची उन लोगों की होगी जिन्हें जीवित रहने की अनुमति दे दी जायेगी।
यहोवा सिय्योन की स्त्रियों की अशुद्धता को धो देगा। यहोवा यरूशलेम से खून को धो कर बहा देगा। यहोवा न्याय की चेतना का प्रयोग करेगा और बिना किसी पक्षपात के निर्णय लेगा। वह दाहक चेतना का प्रयोग करेगा और हर वस्तु को शुद्ध (उत्तम) कर देगा। उस समय, परमेश्वर यह प्रमाणित करेगा कि वह अपने लोगों के साथ है। दिन के समय, वह धुएँ के एक बादल की रचना करेगा और रात के समय एक चमचमाती लपट युक्त अग्नि। सिय्योन पर्वत पर, लोगों की हर सभा के ऊपर, उसके हर भवन के ऊपर आकाश में यें संकेत प्रकट होंगे। सुरक्षा के लिये हर व्यक्ति के ऊपर मण्डप का एक आवरण छा जायेगा। मण्डप का यह आवरण एक सुरक्षा स्थल होगा। यह आवरण लोगों को सूरज की गर्मी से बचाएगा। मण्डप का यह आवरण सब प्रकार की बाढ़ों और वर्षा से बचने का एक सुरक्षित स्थान होगा।