६३
प्यासा मन परमेश्‍वर में तृप्त
दाऊद का भजन; जब वह यहूदा के जंगल में था।
 
१ हे परमेश्‍वर, तू मेरा परमेश्‍वर है,
मैं तुझे यत्न से ढूँढ़ूगा;
सूखी और निर्जल ऊसर भूमि पर*,
मेरा मन तेरा प्यासा है, मेरा शरीर तेरा अति अभिलाषी है।
२ इस प्रकार से मैंने पवित्रस्‍थान में तुझ पर दृष्टि की,
कि तेरी सामर्थ्य और महिमा को देखूँ।
३ क्योंकि तेरी करुणा जीवन से भी उत्तम है,
मैं तेरी प्रशंसा करूँगा।
४ इसी प्रकार मैं जीवन भर तुझे धन्य कहता रहूँगा;
और तेरा नाम लेकर अपने हाथ उठाऊँगा।
५ मेरा जीव मानो चर्बी और चिकने भोजन से तृप्त होगा,
और मैं जयजयकार करके तेरी स्तुति करूँगा।
६ जब मैं बिछौने पर पड़ा तेरा स्मरण करूँगा,
तब रात के एक-एक पहर में तुझ पर ध्यान करूँगा;
७ क्योंकि तू मेरा सहायक बना है,
इसलिए मैं तेरे पंखों की छाया में जयजयकार करूँगा*।
८ मेरा मन तेरे पीछे-पीछे लगा चलता है;
और मुझे तो तू अपने दाहिने हाथ से थाम रखता है।
९ परन्तु जो मेरे प्राण के खोजी हैं,
वे पृथ्वी के नीचे स्थानों में जा पड़ेंगे;
१० वे तलवार से मारे जाएँगे,
और गीदड़ों का आहार हो जाएँगे।
११ परन्तु राजा परमेश्‍वर के कारण आनन्दित होगा;
जो कोई परमेश्‍वर की शपथ खाए, वह बड़ाई करने पाएगा;
परन्तु झूठ बोलनेवालों का मुँह बन्द किया जाएगा।