२८
१ सबत के बा'द हफ़्ते के पहले दिन धूप निकलते वक़्त मरियम मग्दलीनी और दूसरी मरियम क़ब्र को देखने आईं। २ “ और देखो, एक बड़ा भूचाल आया क्यूँकि ““ख़ुदा”” का फ़रिश्ता आसमान से उतरा और पास आकर पत्थर को लुढ़का दिया; और उस पर बैठ गया। “ ३ उसकी सूरत बिजली की तरह थी, और उसकी पोशाक बर्फ़ की तरह सफ़ेद थी। ४ और उसके डर से निगहबान काँप उठे,और मुर्दा से हो गए। ५ फ़रिश्ते ने औरतों से कहा,“तुम न डरो। क्यूँकि मैं जानता हूँ कि तुम ईसा' को ढूँड रही हो जो मस्लूब हुआ था। ६ “ वो यहाँ नहीं है, क्यूँकि अपने कहने के मुताबिक़ जी उठा है; आओ ये जगह देखो जहाँ ““ख़ुदावन्द”” पड़ा था। “ ७ और जल्दी जा कर उस के शागिर्दों से कहो वो मुर्दों में से जी उठा है, और देखो; वो तुम से पहले गलील को जाता है वहाँ तुम उसे देखोगे, देखो मैंने तुम से कह दिया है।” ८ और वो खौफ़ और बड़ी ख़ुशी के साथ क़ब्र से जल्द रवाना होकर उसके शागिर्दों को ख़बर देने दौड़ीं। ९ और देखो ईसा' उन से मिला, और उस ने कहा, “सलाम।”उन्होंने पास आकर उसके क़दम पकड़े और उसे सज्दा किया। १० इस पर ईसा' ने उन से कहा, “डरो नहीं। जाओ, मेरे भाइयों से कहो कि गलील को चले जाएँ, वहाँ मुझे देखेंगे।” ११ जब वो जा रही थीं, तो देखो; पहरेवालों में से कुछ ने शहर में आकर तमाम माजरा सरदार काहिनों से बयान किया। १२ और उन्होंने बुज़ुर्गों के साथ जमा होकर मशवरा किया और सिपाहियों को बहुत सा रुपया दे कर कहा। १३ ये कह देना, कि रात को जब हम सो रहे थे “उसके शागिर्द आकर उसे चुरा ले गए।“ १४ “ ““अगर ये बात हाकिम के कान तक पहुँची तो हम उसे समझाकर तुम को ख़तरे से बचा लेंगे”” १५ पस उन्होंने रुपया लेकर जैसा सिखाया गया था, वैसा ही किया; और ये बात यहूदियों में मशहूर है। १६ और ग्यारह शागिर्द गलील के उस पहाड़ पर गए, जो ईसा' ने उनके लिए मुक़र्रर किया था। १७ उन्होंने उसे देख कर सज्दा किया, मगर कुछ ने शक़ किया। १८ ईसा' ने पास आ कर उन से बातें की और कहा “आस्मान और ज़मीन का कुल इख़तियार मुझे दे दिया गया है। १९ पस तुम जा कर सब क़ौमों को शागिर्द बनाओ और उन को बाप और बेटे और रूह-उल-कुद्दूस के नाम से बपतिस्मा दो। २० और उन को ये ता'लीम दो, कि उन सब बातों पर अमल करें जिनका मैंने तुम को हुक्म दिया; और देखो, मैं दुनिया के आख़िर तक हमेशा तुम्हारे साथ हूँ।”