54
येरूशलेम के भविष्य की महिमा 
 1 यह याहवेह की वाणी है, 
“बांझ, तुम, जो संतान पैदा करने में असमर्थ हो, आनंदित हो. 
तुम, जो प्रसव पीड़ा से अनजान हो, 
जय जयकार करो, 
क्योंकि त्यागी हुई की संतान, 
सुहागन की संतान से अधिक है. 
 2 अपने तंबू के पर्दों को फैला दो, 
इसमें हाथ मत रोको; 
अपनी डोरियों को लंबा करो, 
अपनी खूंटियों को दृढ़ करो. 
 3 क्योंकि अब तुम दाएं तथा बाएं दोनों ही ओर को बढ़ाओगे; 
तुम्हारे वंश अनेक देशों के अधिकारी होंगे 
और उजड़े हुए नगर को फिर से बसाएंगे. 
 4 “मत डर; क्योंकि तुम्हें लज्जित नहीं होना पड़ेगा. 
मत घबरा; क्योंकि तू फिर लज्जित नहीं होगी. 
तुम अपनी जवानी की लज्जा को भूल जाओगे 
और अपने विधवापन की बदनामी को फिर याद न रखोगे. 
 5 क्योंकि तुम्हें रचनेवाला तुम्हारा पति है— 
जिसका नाम है त्सबाओथ* 54:5 त्सबाओथ अर्थात् सेना के याहवेह— 
तथा इस्राएल के पवित्र परमेश्वर हैं; 
जिन्हें समस्त पृथ्वी पर परमेश्वर नाम से जाना जाता है. 
 6 क्योंकि याहवेह ने तुम्हें बुलाया है 
तुम्हारी स्थिति उस पत्नी के समान थी— 
जिसको छोड़ दिया गया हो, 
और जिसका मन दुःखी था,” तेरे परमेश्वर का यही वचन है. 
 7 “कुछ पल के लिए ही मैंने तुझे छोड़ा था, 
परंतु अब बड़ी दया करके मैं फिर तुझे रख लूंगा. 
 8 कुछ ही क्षणों के लिए 
क्रोध में आकर तुमसे मैंने अपना मुंह छिपा लिया था, 
परंतु अब अनंत करुणा और प्रेम के साथ 
मैं तुम पर दया करूंगा,” 
तेरे छुड़ानेवाले याहवेह का यही वचन है. 
 9 “क्योंकि मेरी दृष्टि में तो यह सब नोहा के समय जैसा है, 
जब मैंने यह शपथ ली थी कि नोहा के समय हुआ जैसा जलप्रलय अब मैं पृथ्वी पर कभी न करूंगा. 
अतः अब मेरी यह शपथ है कि मैं फिर कभी तुम पर क्रोध नहीं करूंगा, 
न ही तुम्हें कभी डाटूंगा. 
 10 चाहे पहाड़ हट जाएं 
और पहाड़ियां टल जायें, 
तो भी मेरा प्रेम कभी भी तुम पर से न हटेगा 
तथा शांति की मेरी वाचा कभी न टलेगी,” 
यह करुणामय याहवेह का वचन है. 
 11 “हे दुखियारी, तू जो आंधी से सताई है और जिसको शांति नहीं मिली, 
अब मैं तुम्हारी कलश को अमूल्य पत्थरों से जड़ दूंगा, 
तथा तुम्हारी नीवों को नीलमणि से बनाऊंगा. 
 12 और मैं तुम्हारे शिखरों को मूंगों से, 
तथा तुम्हारे प्रवेश द्वारों को स्फटिक से निर्मित करूंगा. 
 13 वे याहवेह द्वारा सिखाए हुए होंगे, 
और उनको बड़ी शांति मिलेगी. 
 14 तू धार्मिकता के द्वारा स्थिर रहेगी: 
अत्याचार तुम्हारे पास न आएगा; 
तुम निडर बने रहना; 
डर कभी तुम्हारे पास न आएगा. 
 15 यदि कोई तुम पर हमला करे, तो याद रखना वह मेरी ओर से न होगा; 
और वह तुम्हारे द्वारा हराया जाएगा. 
 16 “सुन, लोहार कोयले की आग में 
हथियार बनाता है, वह मैंने ही बनाया है 
और बिगाड़ने के लिये भी मैंने एक को बनाया है. 
 17 कोई भी हथियार ऐसा नहीं बनाया गया, जो तुम्हें नुकसान पहुंचा सके, 
तुम उस व्यक्ति को, जो तुम पर आरोप लगाता है, दंड दोगे. 
याहवेह के सेवकों का भाग यही है, 
तथा उनकी धार्मिकता मेरी ओर से है,” 
याहवेह ही का यह वचन है.