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प्यासों को निमंत्रण 
 1 “हे सब प्यासे लोगो, 
पानी के पास आओ; 
जिनके पास धन नहीं, 
वे भी आकर दाखमधु 
और दूध 
बिना मोल ले जाएं! 
 2 जो खाने का नहीं है उस पर धन क्यों खर्च करते हो? 
जिससे पेट नहीं भरता उसके लिये क्यों मेहनत करते हो? 
ध्यान से मेरी सुनों, तब उत्तम वस्तुएं खाओगे, 
और तृप्त होंगे. 
 3 मेरी सुनो तथा मेरे पास आओ; 
ताकि तुम जीवित रह सको. 
और मैं तुम्हारे साथ सदा की वाचा बांधूंगा, 
जैसा मैंने दावीद से किया था. 
 4 मैंने उसे देशों के लिए गवाह, 
प्रधान और आज्ञा देनेवाला बनाया है. 
 5 अब देख इस्राएल के पवित्र परमेश्वर याहवेह, ऐसे देशों को बुलाएंगे, जिन्हें तुम जानते ही नहीं, 
और ऐसी जनता, जो तुम्हें जानता तक नहीं, तुम्हारे पास आएगी, 
क्योंकि तुम्हें परमेश्वर ने शोभायमान किया है.” 
 6 जब तक याहवेह मिल सकते हैं उन्हें खोज लो; 
जब तक वह पास हैं उन्हें पुकार लो. 
 7 दुष्ट अपनी चालचलन 
और पापी अपने सोच-विचार छोड़कर याहवेह की ओर आए. 
तब याहवेह उन पर दया करेंगे, जब हम परमेश्वर की ओर आएंगे, 
तब वह हमें क्षमा करेंगे. 
 8 क्योंकि याहवेह कहते हैं, 
“मेरे और तुम्हारे विचार एक समान नहीं, 
न ही तुम्हारी गति और मेरी गति एक समान है. 
 9 क्योंकि जिस प्रकार आकाश और पृथ्वी में अंतर है, 
उसी प्रकार मेरे और तुम्हारे कामों में बहुत अंतर है 
तथा मेरे और तुम्हारे विचारों में भी बहुत अंतर है. 
 10 क्योंकि जिस प्रकार बारिश और ओस 
आकाश से गिरकर भूमि को सींचते हैं, 
जिससे बोने वाले को बीज, 
और खानेवाले को रोटी मिलती है, 
 11 वैसे ही मेरे मुंह से निकला शब्द व्यर्थ नहीं लौटेगा: 
न ही उस काम को पूरा किए बिना आयेगा 
जिसके लिये उसे भेजा गया है. 
 12 क्योंकि तुम आनंद से निकलोगे 
तथा शांति से पहुंचोगे; 
तुम्हारे आगे पर्वत 
एवं घाटियां जय जयकार करेंगी, 
तथा मैदान के सभी वृक्ष 
आनंद से ताली बजायेंगे. 
 13 कंटीली झाड़ियों की जगह पर सनोवर उगेंगे, 
तथा बिच्छुबूटी की जगह पर मेंहदी उगेंगी. 
इससे याहवेह का नाम होगा, 
जो सदा का चिन्ह है, 
उसे कभी मिटाया न जाएगा.”